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बीएयू राज्य की आवश्यकतानुसार प्रजनक बीज उत्पादन करने में सक्षम: कुलपति

रांची, विशेष संवाददाता। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक में केवीके के काम की समीक्षा की गई। कुलपति ने नियमित समीक्षा और बायोमेट्रिक उपस्थिति पर जोर दिया। बीज नीति और तकनीकी...

बीएयू राज्य की आवश्यकतानुसार प्रजनक बीज उत्पादन करने में सक्षम: कुलपति
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,रांचीSat, 10 Aug 2024 06:28 PM
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रांची, विशेष संवाददाता। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा परिषद् की 38वीं बैठक शनिवार को कुलपति डॉ एससी दुबे की अध्यक्षता में हुई। इसमें कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के काम की समीक्षा की गई। कुलपति ने कहा कि केवीके की गतिविधियां ढंग से चलें, इसके लिए वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक नियमित अंतराल पर होगी और हर तीन माह पर केवीके के कामकाज की समीक्षा की जाएगी। सभी केवीके में बायोमेट्रिक उपस्थिति पद्धति दुरुस्त की जाएगी। केंद्रों को प्रशासनिक व वित्तीय प्रक्रिया में बदलाव लाना होगा। कामकाज का बेहतर प्रलेखीकरण करते हुए राष्ट्रीय पहचान बनाने का प्रयास करना होगा। कुलपति ने कहा कि बीएयू राज्य की आवश्यकता के लिए प्रजनक बीज उत्पादन करने में सक्षम है। केवीके को किसानों को उत्पादन व आय बढ़ाने के लिए उपयुक्त तकनीक और प्रशिक्षण के साथ उस तकनीक को कृषक समुदाय ने कितना अपनाया और उनकी आय व सामाजित-आर्थिक दशा में क्या सुधार हुआ, इसका वैज्ञानिक आकलन भी करना है। उन्होंने कहा कि बीज उत्पादन का भी क्षेत्रवार और जिलावार आकलन होना चाहिए कि कहां किन फसलों के किन प्रभेदों के कितने बीज की आवश्यकता है। कुलपति ने हर केवीके को अपनी विशिष्ट तकनीक के लिए अलग पहचान बनाने को कहा।

कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), जोन-4, पटना के निदेशक डॉ अंजनी कुमार ने झारखंड की बीज नीति बनवाने की दिशा में प्रयास करने को कहा। उन्होंने बीएयू और राज्य के आइसीएआर संस्थानों से अपनी प्रौद्योगिकी की सूची अटारी को उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया, ताकि केवीके के माध्यम से उनका प्रसार हो सके। उन्होंने विशेष गुणवाले अनाज, फल, सब्जी और जंगली पौधों की प्रजातियों का पंजीकरण प्रस्ताव लाने का सुझाव दिया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, हजारीबाग के विशेष कार्य पदाधिकारी डॉ विशाल नाथ ने कहा कि केवीके को टेक्नोलॉजी रिसोर्स सेंटर के रूप में काम करना करना होगा। ड्रैगन फ्रूट झारखंड में सफलतापूर्वक पैदा हो सकता है, लेकिन गर्मी के मौसम में 42-45 डिग्री तापक्रम में भी यह कैसे बेहतर, टिकाऊ और सुरक्षित उत्पाद व डेयरी टेक्नोलॉजी कॉलेज के एसोसिएट डीन डॉ आलोक कुमार पांडेय ने भी अपने सुझाव दिए।

प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया गया

मौके पर तीन प्रगतिशील किसानों- भरत महतो, अशोक भुइयां और तुलसी महतो को सम्मानित किया गया I डॉ अमृत कुमार झा, डॉ अशोक कुमार, डॉ आरती वीणा एक्का, डॉ संजय पांडेय व डॉ शुभ्रांशु शेखर ने विभिन्न क्षेत्रों के कृषि विज्ञान केंद्रों की उपलब्धियों का ब्यौरा प्रस्तुत किया। मौके पर विश्वविद्यालय के निदेशक, डीन व वैज्ञानिक उपस्थित थे। संचालन शशि सिंह ने किया।

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