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बड़ी लापरवाही: डाॅक्टरों ने जीवित युवक को मृत घोषित कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया

चान्हों सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डाॅक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आयी है। यहां के डॉक्टरों ने जीवित व्यक्ति को मृत घोषित कर रिम्स पोस्टमार्टम के लिए भेज...

बड़ी लापरवाही: डाॅक्टरों ने जीवित युवक को मृत घोषित कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया
हिन्दुस्तान टीम,रांचीTue, 26 May 2020 07:41 PM
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चान्हों सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डाॅक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आयी है। यहां के डॉक्टरों ने जीवित व्यक्ति को मृत घोषित कर रिम्स पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पोस्टमार्टम करने पहुंचे डाॅक्टरों ने देखा कि युवक की सांसे चल रही है और उसे तुरंत आनन-फानन में रिम्स के सेंट्रल इमरजेंसी में भेज दिया। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और इमरजेंसी में मौजूद डाॅक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। रिम्स के डाॅक्टरों ने बताया कि युवक की मौत इमरजेंसी में आने से कुछ देर पहले ही हुई है। जबकि उस व्यक्ति को चान्हों स्वास्थ्य केंद्र के डाॅक्टरों ने सुबह आठ-नौ बजे ही मृत घोषित कर दिया था। परिजनों ने चान्हों के डाॅक्टरों पर लापारवाही का आरोप लगाया है और उन पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग सरकार से की है। डाॅक्टरों ने मृत घोषित कर कागज बनाने में कई घंटे बरबाद कर दिए। जबकि युवक पांच घंटे तक जीवित था।

रिम्स के एफएमटी विभाग के डाॅक्टर बताते हैं कि मरीज की सांसे चल रही थी, जिससे प्रतित होता है कि मरीज को बचाया जा सकता था। लेकिन इसमें काफी देर हो गई जिससे बचाना मुश्किल हुआ होगा। फिलहाल पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद सारी चीजें स्पष्ट हो जाएगी।

क्या है मामला:

लोहरदगा जिले के कैरो थाना क्षेत्र के खरता गांव के 26 वर्षीय युवक जितेंद्र उरांव सुबह छह बजे टेंट खोलने गया था। इसी क्रम में उसने उपर से गुजर रही बिजली के तार को छू लिया और बेहोष होकर नीचे गिर पड़ा। परिजनों ने उसे चान्हों सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए जहां डाॅक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद कागजी प्रक्रिया करते हुए शव को रिम्स पोस्टमार्टम के लिए सुबह करीब 11.30 बजे भेज दिया गया। दिन के करीब एक बजे पोस्टमार्टम से पहले बॉडी एग्जामिन के दौरान देखा गया कि मृत युवक का दिल धड़क रहा है। इसके बाद उसका पोस्टमार्टम करने से इंकार कर दिया गया। डाॅक्टरों ने बताया कि कई बार बिजली के झटके या शौक लगने से धड़कन बंद भी हो जाती है, कुछ देर के बाद वह फिर से चलने लगती है। अगर सीएचसी में ही उसे सीपीआर (पंप देकर धड़कन लाने की प्रक्रिया) दिया जाता तो धड़कन लौट सकती थी।

कोट : शव को पोस्टमार्टम में लाने के बाद परिजन युवक के जीवित होने की बात लगातार कह रहे थे। जब डॉक्टरों ने देखा तब उसमें जीवित रहने के कुछ लक्षण देखे गए। जिसके बाद उसे तुरंत इमरजेंसी भेजा गया ताकि उसका इलाज शुरू किया जा सके।

-डॉ तुलसी महतो, विभागाध्यक्ष, एफएमटी विभाग, रिम्स।

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