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देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में समाप्त होगा ऑटोनोमस डायसिस का कोटा

सीएनआई विवाद ऑटोनोमस छोटानागपुर डायसिस और सीएनआई (चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया) के विवाद के कारण आने वाली पीढ़ी व छात्रों के लिए मुश्किलें खड़ी...

देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में समाप्त होगा ऑटोनोमस डायसिस का कोटा
हिन्दुस्तान टीम,रांचीThu, 20 Aug 2020 11:33 PM
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ऑटोनोमस छोटानागपुर डायसिस और सीएनआई (चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया) के विवाद के कारण आने वाली पीढ़ी और छात्रों के लिए मुश्किलें खड़ी होंगी। गुरुवार को प्रेस बयान जारी कर सीएनआई सिनोड के कोषाध्यक्ष प्रोफेसर जयंत अग्रवाल ने कहा कि पूरे भारत में सीएनआई द्वारा देश के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में ऑटोनोमस डायसिस का कोटा समाप्त हो जाएगा, क्योंकि विभाजनकारी शक्तियां सीएनआई से छोटानागपुर डायसिस को अलग करने की मंशा बनाई हुई हैं। उन्होंने कहा कि सीएनआई से जुड़े रहने से विशेषकर झारखंड के आदिवासी बहुल छोटानागपुर डायसिस के युवाओं को और आने वाली पीढ़ी को काफी लाभ है, जिस भर भी विचार किया जाना चाहिए। दिल्ली का स्टीफन कॉलेज में दाखिला के लिए बिशप की होती है अनुशंसाजानकारी दी गई कि दिल्ली के संत स्टीफन कॉलेज, विल्सन कॉलेज मुंबई, हिसलप कॉलेज नागपुर, संत एंड्रयू कॉलेज गोरखपुर, संत पॉल्स कॉलेज आगरा, बिशप काउन कॉलेज शिमला, शेरवुड कॉलेज नैनीताल और बिशप थियोलॉजिकल कॉलेज कोलकाता, स्कोटिस कॉलेज-कोलकाता जैसे प्रतिष्ठित कॉलेज सीएनआई के अधीन है। प्रोफेसर जयंत ने बताया कि कई प्रतिष्ठित व्यावसायिक कॉलेज भी सीएनआई का है। इसमें इंजीनियरिंग कॉलेज कोलकाता, मेडिकल कॉलेजों में संत स्टीफन हॉस्पीटल-कॉलेज पुरानी दिल्ली, सीएमसी वेल्लौर, सीएमसी लुधियाना जैसे प्रतिष्ठित संस्थान हैं, जहां छोटानागपुर डायसिस का अपना कोटा है। जहां से अभी तक कई छात्र चिकित्सक बनकर निकले और कई पढ़ रहे हैं। इसके अलावा इलाहाबाद का एग्रीकल्चर कॉलेज भी सीएनआई के संयुक्त सहयोग से चल रहे हैं। साथ ही कई प्रतिष्ठित स्कूलों में संत पॉल्स स्कूल दार्जिलिंग, संत जेम्स स्कूल कोलकाता, ला मार्टिनियर स्कूल कोलकाता, संत जोन्स स्कूल कोलकाता, संत थॉमस स्कूल दिल्ली, संत जेम्स स्कूल कोलकाता सहित अन्य अच्छे परिणाम करने वाले स्कूल भी सीएनआई के अधीन है। बताया कि इन सभी संस्थानों में दाखिला के लिए छोटानागपुर डायसिस के बिशप द्वारा अनुशंसा की जाती है। हर संस्थानों में डायसिस का अपना कोटा होता है। परंतु विवादों के कारण कलीसिया की आने वाली पीढ़ी इन सभी हायर एजुकेशन संस्थानों में दाखिला से वंचित हो जाएंगे।

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