एसीबी ने पावर होल्डर विजय सिंह को किया गिरफ्तार
खासमहल भूमि घोटाला : विशेष एसीबी कोर्ट में पेशी के बाद भेजा गया जेल, अबतक आईएएस विनय चौबे समेत तीन हुए गिरफ्तार

रांची, हिन्दुस्तान ब्यूरो। हजारीबाग जिले में खासमहल भूमि से जुड़े घोटाले में एसीबी ने पावर होल्डर विजय प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया है। विजय की तलाश में एसीबी ने बीते कई दिनों तक छापेमारी की थी, लेकिन सोमवार की सुबह उसे हजारीबाग शहर से गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद विजय को एसीबी ने हजारीबाग की विशेष अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। एसीबी की एफआईआर में आईएएस विनय कुमार चौबे, तत्कालीन खास महल पदाधिकारी विनोद चंद्र झा के साथ-साथ जमीन की खरीद-बिक्री में शामिल बसंती सेट्ठी, उमा सेट्ठी, इंद्रजीत सेट्ठी, राजेश सेट्ठी, विजय प्रताप सिंह व सुधीर कुमार सिंह को आरोपी बनाया गया था।
ये घोटाला तत्कालीन हजारीबाग डीसी व आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे के कार्यकाल से जुड़ा रहा था। इस केस में एसीबी ने पूर्व में विनय कुमार चौबे व तत्कालीन खासमहल पदाधिकारी विनोद चंद्र झा को गिरफ्तार किया था। दोनों फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। क्या है मामला पूरा मामला हजारीबाग की 2.75 एकड़ खासमहल भूमि से संबंधित है, जिसे 1948 में 30 वर्षों के लिए सेवायत ट्रस्ट को लीज पर दिया गया था। खासमहल जमीन की लीज 1978 में समाप्त हो गई थी और 2008 तक इसका नवीकरण किया गया। लेकिन 2008-10 के बीच एक सुनियोजित प्रशासनिक षड्यंत्र के तहत इस भूमि को सरकारी भूमि घोषित कर 23 निजी व्यक्तियों को आवंटित कर दिया गया। आरोप है कि इस षड्यंत्र के केंद्र में तत्कालीन डीसी की भी भूमिका थी। उन्होंने खासमहल पदाधिकारी के साथ मिलकर लीज नवीनीकरण के लिए दिए गए आवेदन से सेवायत शब्द जानबूझकर हटवाया, ऐसा इसलिए किया गया ताकि ट्रस्ट भूमि को सरकारी दिखाया जा सके और उसका अवैध रूप से हस्तांतरण संभव हो सके। ट्रस्ट की इस संपत्ति को निजी लाभ के लिए बेचने के लिए फर्जी तरीके से पॉवर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल किया गया। विजय प्रताप सिंह और सुधीर कुमार सिंह को पावर ऑफ अटॉर्नी धारक बनाया गया, जिनके माध्यम से यह पूरी प्रक्रिया न केवल न्यायालय की अवहेलना थी, बल्कि ट्रस्ट की संपत्ति का निजी दोहन कर उसे व्यावसायिक लाभ में बदलने की एक सुनियोजित साजिश थी। हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना इस मामले में झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना की बात भी एसीबी ने पायी थी। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि हीरालाल सेठी और पन्नालाल सेठी अथवा उनके उत्तराधिकारी ट्रस्ट की भूमि को किसी अन्य को हस्तांतरित नहीं कर सकते। इसके बावजूद, इस आदेश को नजरअंदाज करते हुए राजस्व विभाग के आदेश संख्या 1346/रा(15 मई 2010) और डीसी आदेश संख्या 529/खाम (14 सितंबर 2010) के माध्यम से इस भूमि को 23 व्यक्तियों को आवंटित कर दिया गया। वर्तमान में, इस भूमि पर बहुमंजिला व्यावसायिक भवन खड़े हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।




