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राजनीतिक चुंगल से मुक्त हो शिक्षा: मिलिंद मराठे

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 63वें वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन शुक्रवार को शिक्षा की परिकल्पना पर विचार उभरे। एबीवीपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो मिलिंद मराठे ने कहा कि शिक्षा हर...

राजनीतिक चुंगल से मुक्त हो शिक्षा: मिलिंद मराठे
हिन्दुस्तान टीम,रांचीFri, 01 Dec 2017 10:13 PM
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मोरहाबादी मैदान में चल रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 63वें वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन शुक्रवार को शिक्षा की परिकल्पना पर विचार उभरे। एबीवीपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो मिलिंद मराठे ने कहा कि शिक्षा हर हाल में राजनीतिक चंगुल से मुक्त होनी चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि शिक्षा सस्ती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण होने के साथ हर स्तर पर छात्रों के लिए प्रामाणिक ज्ञानी शिक्षकों से युक्त होनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा से देशप्रेम और समाजप्रेम उत्पन्न हो। साथ ही, शिक्षा में परिवारिक शिक्षा को भी जोड़ा जाना चाहिए।प्रो मराठे ने कहा कि आज जो शिक्षा दी जा रही है, उसमें भारतीयता की कमी है। जबकि, शिक्षा के जरिए विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण पर ध्यान देने की जरूरत है। भारत की शिक्षा नीति ऐसी होनी चाहिए, जो स्वाभाविक भाव के साथ सबके हित में हो। इसके मद्देनजर उन्होंने धार्मिक अधिष्ठान को भी शिक्षा से जोड़ने के साथ राष्ट्रीय स्वायत्त शिक्षा की स्थापना जोर दिया।

तीन प्रस्ताव रखे गए

63वें राष्ट्रीय अधिवेशन में चर्चा के लिए तीन प्रस्ताव प्रतिनिधियों के सामने रखे गए। राष्ट्रीय महामंत्री आशीष चौहान ने शिक्षा में सुधार के लिए सर्जिकल की आश्वयकता पर प्रस्ताव रखा। इसके तहत- विश्वविद्यालयों में अनियमितताओं, यूजीसी की निष्क्रियता और छात्र व शिक्षकों की समस्याओं से संबंधित मुद्दे उठाए गए। राष्ट्रीय मंत्री संजय कुशराम ने जनजातीय समाज के विकास की आवश्यकता पर प्रस्ताव रखा। तीसरा प्रस्ताव राष्ट्रीय मंत्री किशोर बर्मन ने सेना के शौर्य से आंतरिक और बाह्य रूप से सुरक्षित भारत के स्वरूप पर रखा।

चाक-चौबंद व्यवस्था

अधिवेशन की प्रबंधन व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त है। इसमें 500 से अधिक कार्यकर्ता जुटे हुए हैं। अधिवेशन के लिए 69 विभाग बनाए गए हैं, इसमें 379 कार्यकर्ता काम कर रहे हैं। यातायात विभाग, भोजन विभाग आदि में कार्यकर्ता दो-दो शिफ्ट में काम कर रहे हैं। बाहर के आए प्रतिभागियों की हर जरूरत का ध्यान रखा जा रहा है। उनके लिए नहाने का गर्म पानी, पेयजल में भी गर्म और ठंडा पानी आदि की व्यवस्था की गई। सुबह की चाय पांच बजे सुबह दी जाती है। शुगर फ्री चाय की व्यवस्था भी की गई है। खानपान में उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय जायके का भी खयाल रखा गया है। सुरक्षा में झारखंड पुलिस और एबीवीपी के कार्यकर्ता जुटे हुए हैं।

हर प्रांत का जायका

अधिवेशन में शाकाहारी भोजन परोसा जा रहा है। खास बात यह है कि इसमें हर प्रांत का जायका मौजूद है। आयोजन स्थल पर खानपान की व्यवस्था की गई है। यहां एक समय में एक साथ 2000 लोग भोजन कर सकते हैं। प्रतिभागियों को सुबह की चाय सुबह पांच बजे मिल जाती है। झारखंड का धुस्का, मुढ़ी घुघनी, लिट्टी-चोखा तो है ही, सेव-बुंदिया, पकौड़ी-चटनी, भुना चूड़ा, सत्तू पराठा जैसे जायके भी यहां परोसे जा रहे हैं। पंजाबी छोला भटूरा, पंजाबी तड़का, दक्षिण भारतीय खानपान में- इडली-सांबर, वड़ा-सांबर, उपमा, मुंबई की प्रचलित पावभाजी, राजस्थानी मिस्सी कचौरी, बंगाली मालपुआ के अलावा दालपूरी, चुपड़ी रोटी, गाजर और मूंग हलवा भी परोसे जा रहे हैं। भोजन की व्यवस्था में एबीवीपी के 40 कार्यकर्ता और 200 कुक जुटे हुए हैं।

आज मिलेगा गोपीनाथ आर को प्रो यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार

बेंगलुरू की ‘स्पर्श संस्था के संस्थापक आर गोपीनाथ को अधिवेशन में प्रो यशवंतराव केलकर पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार सामाजिक क्षेत्र में काम कर रहे 40 वर्ष से कम्र उम्र के युवा को दिया जाता है। आर गोपीनाथ वंचित बच्चों की देखभाल, सुरक्षा आदि के लिए लंबे समय से काम कर रहे हैं। इस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे मुख्यमंत्री रघुवर दास। जबकि, क्रिकेटर सुरेश रैना बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद होंगे। ओलंपियन कुश्ती खिलाड़ी सुशील कुमार भी मौजूद होंगे। कार्यक्रम सुबह 11 बजे से आयोजित है। इसके अलावा ‘जनजातीय परंपराएं और विशेषताएं, विषय पर एक भाषण होगा, इसके वक्ता होंगे- प्रफुल्ल अकांत। कार्यक्रम की अध्यक्षता विकास भारती के अध्यक्ष अशोक भगत (पद्मश्री) करेंगे। साथ ही, रात 9.15-10.15 बजे सांस्कृतिक संध्या के तहत झारखंड के पाईका और छऊ नृत्य की प्रस्तुति होगी।

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