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कोविड के बाद 70 फीसदी स्कूल अल्टरनेटिव एकेडमिक कैलेंडर चाहते हैं

एनसीईआरटी के कंटीन्यूअस लर्निंग प्लान सर्वे में देश भर के स्कूलों ने दी अपनी रायएनसीईआरटी के कंटीन्यूअस लर्निंग प्लान सर्वे में देश भर के स्कूलों ने दी अपनी रायएनसीईआरटी के कंटीन्यूअस लर्निंग प्लान...

कोविड के बाद 70 फीसदी स्कूल अल्टरनेटिव एकेडमिक कैलेंडर चाहते हैं
हिन्दुस्तान टीम,रांचीThu, 03 Sep 2020 09:52 PM
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कोरोना के बाद केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के 70 फीसदी से ज्यादा स्कूल एकेडमिक कैलेंडर में बदलाव चाहते हैं। वे बोर्ड से इस सत्र के लिए अल्टरनेटिव एकेडमिक कैलेंडर की उम्मीद कर रहे हैं। ये बातें एनसीईआरटी की ओर से देश भर में कराए गए कंटिन्यूअस लर्निंग प्लान सर्वे में निकल कर सामने आई है। इस सर्वे में झारखंड समेत देश भर से 18188 स्कूल, 3543 शिक्षक और विभिन्न स्कूलों के प्राचार्य शामिल हुए थे। सर्वे में भविष्य के प्लान से लेकर डिजिटल माध्यम से पढ़ाई समेत अन्य बिन्दुओं पर राय पूछी गई थी।

छात्रों के आकलन के लिए ऑफलाइन बेहतर माध्यम सर्वे में शिक्षकों ने माना कि डिजिटल माध्यम से यह जान पाना मुश्किल है कि जो उन्होंने छात्रों को सिखाया है छात्र उसी तरीके से उसे सीखे हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि इसका एक माध्यम ये हो सकता है कि या तो शिक्षक छात्र के घर में जाएं या फिर अभिभावकों को उनके बच्चों के पढ़ाई के बारे में जानकारी दी जाए ताकि वो अपने बच्चों की पढ़ाई पर नजर रख सकें।

स्कूल खुलते ही छात्रों की होगी परीक्षा :

यह पूछे जाने पर कि इतने लंबे अंतराल के बाद छात्रों ने क्या सीखा है या उनकी पढ़ाई पर इसका क्या असर पड़ा है इसे दूर करने के लिए स्कूल क्या विकल्प अनाएंगे। इस पर औसतन स्कूलों का कहना है कि स्कूल स्तर पर टेस्ट का आयोजन किया जाएगा। इसमें छात्रों की स्थिति की जानकारी ली जाएगी और कमजोर बच्चों के लिए रेमेडियल क्लास का आयोजन किया जाएगा ताकि वे वापस से अपने शैक्षणिक लेवल में आ जाएं। इसके अलावा भी अन्य कई तैयारियां स्कूल की तरफ से की गई हैं।

दीक्षा नहीं रहा असरदार :

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा डिजिटल माध्यमों और ऑनलाइन शिक्षण को लेकर किये गये सर्वेक्षण के अनुसार 27 फीसदी छात्र-छात्राओं के पास ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होने के लिए आवश्यक स्मार्टफोन या लैपटॉप नहीं हैं। वहीं, 28 फीसदी स्टूडेंट्स और पैरेंट्स का मानना है कि बिजली के आने-जाने से और बिजली की कटौती ऑनलाइन टीचिंग-लर्निंग में बड़ी बाधाएं हैं। वहीं दीक्षा भी 50 फीसदी छात्रों के लिए ही असरदायक रहा है।

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