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11 साल में 300 बच्चे धर्मांतरण के लिए ले जाए गए लुधियाना

बीते 11 साल में झारखंड के 300 से अधिक बच्चों को धर्मांतरण के लिए पंजाब ले जाया गया था। चाईबासा पुलिस की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है। चाईबासा पुलिस की एएचटीयू थाने की पुलिस लुधियाना जाकर पैकियम...

11 साल में 300 बच्चे धर्मांतरण के लिए ले जाए गए लुधियाना
मुख्य संवाददाता ,रांचीThu, 30 Aug 2018 06:09 PM
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बीते 11 साल में झारखंड के 300 से अधिक बच्चों को धर्मांतरण के लिए पंजाब ले जाया गया था। चाईबासा पुलिस की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है। चाईबासा पुलिस की एएचटीयू थाने की पुलिस लुधियाना जाकर पैकियम मर्सी क्रॉस होम की जांच कर चुकी है। जांच के दौरान पुलिस और लुधियाना सीडब्लूसी को एक रजिस्टर मिला है। रजिस्टर में झारखंड के 300 से अधिक बच्चों के नाम हैं। 
आदिवासी समाज से जुड़े इन बच्चों को शिक्षा देने के नाम पर लुधियाना ले जाया गया था। जानकारी के मुताबिक होम की जांच के दौरान देशभर के 1000 से अधिक आदिवासी बच्चों का नाम और पता मिला है।
धर्मांतरण से संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज : बच्चों को धर्मांतरण के लिए तस्करी करने के मामले में चाईबासा के एएचटीयू थाना में एफआईआर दर्ज की गई है। सीडब्लूसी चाईबासा की सदस्य ज्योत्सना तिर्की के बयान पर सत्येंद्र प्रसाद मूसा, जुनुल लोंगा समेत अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें विभिन्न जिलों में कार्यरत मिशनरी संस्थाओं, चर्च के पादरियों की मिलीभगत से मानव तस्करी कर बच्चों को अवैध तरीके से चाईबासा से लुधियाना ले जाने का जिक्र है।  
पढ़ाई और रोजगार का लालच देता था  रैकेट
चाईबासा के 34 बच्चों को अवैध तरीके से पैकियम मर्सी क्रॉम होम में रखे जाने की सूचना स्पेशल ब्रांच के एडीजी अनुराग गुप्ता को मिली थी। मामला सामने आने के बाद चाईबासा एसपी क्रांति कुमार गणदेशी ने लुधियाना के डीएम को पत्र लिखा और एएचटीयू थाने के प्रभारी बनारसी राम को लुधियाना भेजा था। टीम ने जब वहां जांच शुरू की तो पता चला कि पैकियम मर्सी क्रॉस होम का संचालक सत्येंद्र प्रसाद मूसा नाम का शख्स है। मूसा को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ की तो जानकारी मिली कि चाईबासा के ही जुनुल लोंगा और उसके सहयोगी बच्चों को लेकर लुधियाना गए थे। जुनुल चाईबासा के गुदड़ी थाना क्षेत्र के सेरगदा गांव का रहने वाला है। जांच में यह बात समाने आयी  कि जुनुल लोंगा  लुधियाना के ही मर्सी होम क्रिश्चयन हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर चुका है। इसलिए बाहर के बच्चों को पढ़ाई व रोजगार के नाम पर प्रलोभन देकर लुधियाना लाया गया था। 
 

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