ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News झारखंड रांची150 मरीजों ने डर से छोड़ दिया रिम्स

150 मरीजों ने डर से छोड़ दिया रिम्स

रिम्स के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (जेडीए) की हड़ताल के बाद ओपीडी से बिना इलाज कराए करीब 300 मरीज वापस लौट गए। वहीं इंडोर में जिन मरीजों की हालत ठीक थी उन्हें छुट्टी दे दी गई। वार्ड से करीब 150 मरीज वापस...

150 मरीजों ने डर से छोड़ दिया रिम्स
हिन्दुस्तान टीम,रांचीWed, 28 Feb 2018 01:41 AM
ऐप पर पढ़ें

रिम्स के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (जेडीए) की हड़ताल के बाद ओपीडी से बिना इलाज कराए करीब 300 मरीज वापस लौट गए। वहीं इंडोर में जिन मरीजों की हालत ठीक थी उन्हें छुट्टी दे दी गई। वार्ड से करीब 150 मरीज वापस लौट गए। जेडीए ने डॉक्टरों से मारपीट करने वाले मुख्य आरोपी को पकड़ने की मांग की है। साथ ही डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर अपनी मांगे रखी हैं। कुछ विभागों में सेवा दे रहे जूनियर डॉक्टरों ने दूसरे पहर अपनी सेवा बंद कर दी। जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव इमरजेंसी में पड़ा। इस बीच इमरजेंसी में आने वाले मरीज वापस लौट गए।

प्रशासन के आग्रह को भी ठुकराया :

प्रशासन ने जेडीए से आग्रह किया कि वे अपनी हड़ताल वापस ले लें। लेकिन डॉक्टर अपनी सुरक्षा और मुख्य आरोपी पर कार्रवाई की जिद पर अड़े रहे। सिटी एसपी डॉक्टरों से सुलह कराने के लिए मारपीट करने वाले दो लोगों को रिम्स लेकर आए थे। लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें देख कहा कि ये मारपीट करने वाले आरोपी नहीं हैं।

इंडोर में नहीं दिखी व्यवस्था : रिम्स के वार्ड में भर्ती मरीजों को सुबह सात बजे से छोड़ दिया गया था। सीनियर डॉक्टर एक बार राउंड लगाने जरूर पहुंचे, जिसके बाद मरीजों की पूरी जिम्मेदारी नर्सों के ऊपर आ गई। कोई भी जूनियर डॉक्टर गंभीर से गंभीर मरीजों को देखने नहीं पहुंचे। डॉ अजीत ने बताया कि वे लोग कभी नहीं चाहते कि मरीजों को मरने के लिए छोड़ दिया जाए। सुबह में एक गंभीर हालत में गला कटा हुआ मरीज आया था, जिसका मानवता के आधार पर इलाज किया गया।

क्या हैं मांगें

जेडीए ने आरोपी को पकड़ने के साथ-साथ कई मांगों को प्रबंधन के सामने रखा है। इसमें पुलिस पिकेट की व्यवस्था करना, डॉक्टरों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करना, मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना, रिम्स कैंपस की बाउंड्री बनाना, लिफ्ट बनाना, परिसर के अंदर की सड़क बनाना और सातवां वेतनमान लागू करना शामिल है।

ओपीडी-ओटी बंद कराने पहुंचे

जूनियर डॉक्टर दिन में ओपीडी और ओटी में जाकर सीनियर डॉक्टर और सीनियर रेसिडेंट से सेवा बंद करने की अपील कर रहे थे। इन लोगों ने कहा कि हमेशा डॉक्टर के साथ मारपीट होती है, जबकि अस्पताल में डॉक्टर नियमानुसार काम करते हैं। लेकिन मरीज के परिजन हमेशा डॉक्टरों पर दबाव बनाकर रखते हैं।

इंतजार के बाद भी इलाज नहीं

रिम्स में सदूर इलाकों से अपना इलाज करवाने आए मरीजों की सुनने वाला कोई नहीं था। ओपीडी में जहां सीनियर डॉक्टरों के साथ जूनियर डॉक्टर मरीजों का इलाज करते थे। वहां पर एक डॉक्टर के भरोसे सैकड़ों मरीज थे। इस कारण घंटों इंतजार करने के बाद भी काफी मरीजों को निराशा ही हाथ लगी।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें