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आत्म शुद्धि के लिए इच्छाओं का रोकना तप : आचार्य

श्री दिगम्बर जैन मंदिर एवं श्री पारसनाथ जिनालय में गुरुवार को दशलक्षण पर्व के तहत सातवें दिन उत्तम तप धर्म का अनुष्ठान पूरे विधि-विधान के साथ किया...

आत्म शुद्धि के लिए इच्छाओं का रोकना तप : आचार्य
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,रामगढ़Fri, 17 Sep 2021 03:10 AM
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रामगढ़। निज प्रतिनिधि

श्री दिगम्बर जैन मंदिर एवं श्री पारसनाथ जिनालय में गुरुवार को दशलक्षण पर्व के तहत सातवें दिन उत्तम तप धर्म का अनुष्ठान पूरे विधि-विधान के साथ किया गया। श्रीजी में जलाभिषेक एवं शांतिधारा स्व महेंद्र कुमार पाटनी के पुण्य स्मिर्ति में दोनों मंदिरों में उनकी धर्मपत्नी अमराव देवी पाटनी एवं उनके पुत्र मानिक जैन, उत्तम जैन, प्रदीप जैन सहित पूरे परिवार के लोगों ने संयुक्त रूप से किया। प्रवचन करते हुए आचार्य सुरेश जैन ने कहा कि आत्म शुद्धि के लिए इच्छाओं का रोकना तप है। उन्होंने कहा कि मानसिक इच्छाएं सांसारिक बाहरी पदार्थों में चक्कर लगाया करती हैं अथवा शरीर के सुख साधनों में केन्द्रीय रहती हैं। अतः शरीर को प्रमादी न बनने देने के लिए बहिरंग तप किये जाते हैं। मन की वृत्ति आत्म-मुख करने के लिए अन्तरंग तपों का विधान किया गया है। दोनों प्रकार के तप आत्म शुद्धि के अमोध साधन हैं। उन्होंने कहा कि बहिरंग तप शरीर को प्रमाद से दूर रखने के लिए जो बहिरंग तप बताए गए है, वह इस प्रकार है। इसमें अनशन, ऊनोदर, व्रतपरिसंख्यान, रस परित्याग, विविक्तशयनासन एवं कायक्लेश प्रमुख है। यह जानकारी मीडिया प्रभारी राहुल जैन ने दी। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को उत्तम त्याग धर्म की पूजा होगी।

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