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केवि भुरकुंडा के लिए कोयलांचल में चलेगा हस्ताक्षर अभियान

केंद्रीय विद्यालय भुरकुंडा को पटेलनगर स्थित सरकारी जमीन में स्थापित करने की मांग कोयलांचल में पुरजोर तरीके से उठ रही है। क्षेत्र के सामाजिक, राजनैतिक और छात्र संगठनों के अलावा जनप्रतिनिधि भी अब इस...

 केवि भुरकुंडा के लिए कोयलांचल में चलेगा हस्ताक्षर अभियान
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,रामगढ़Fri, 24 Jul 2020 03:05 AM
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केंद्रीय विद्यालय भुरकुंडा को पटेलनगर स्थित सरकारी जमीन में स्थापित करने की मांग कोयलांचल में पुरजोर तरीके से उठ रही है। क्षेत्र के सामाजिक, राजनैतिक और छात्र संगठनों के अलावा जनप्रतिनिधि भी अब इस मुहिम का हिस्सा बन चुके हैं। इस कड़ी में गुरुवार को एक नया अध्याय जुड़ गया। भुरकुंडा रिवर साईड स्थित बुधबाजार में पंचायत समिति सदस्य बलजीत सिंह के नेतृत्व में स्थानीय व्यवसायी और युवाओं की बैठक हुई। इसमें वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि केंद्रीय विद्यालय के लिए भुरकुंडा के पटेलनगर इलाके में पर्याप्त सरकारी जमीन है। ऐसे में विद्यालय को बरकाकाना के मसमोहना में स्थानांतरित करने की बात तर्क संगत नहीं है। अंचल प्रशासन यथाशीघ्र स्कूल और सरकारी जमीन से कब्जा हटवा कर केवि संगठन को जमीन आवंटित करे। इस मांग को लेकर वे 24 जुलाई से संपूर्ण कोयलांचल के साथ आसपास के ग्रामीण इलाके में हस्ताक्षर और जन जागरूकता अभियान चलाएंगे। बलजीत सिंह ने कहा कि इतिहास गवाह है कि केवि भुरकुंडा के लिए क्षेत्रवासियों ने निर्णायक लड़ाई लड़ी है। इसलिए किसी कीमत पर इसे भुरकुंडा से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा। उन्होने क्षेत्र के युवाओं से हस्ताक्षर अभियान में शामिल होने की अपील की है। बैठक में असिम सरकार, सत्येंद्र विश्वकर्मा, शंभू ठाकुर, विवेक कुमार, अशोक रजक, शाहिद आलम, अमन कुमार, सरफराज अहमद, कृपाशंकर सिंह आदि उपस्थित थे।-- सवाल नोटिस पर नोटिस का है . . . भुरकुंडा पटेलनगर में स्कूल और सरकारी जमीन पर कब्जा जमाने वाले 6 लोगों को पतरातू अंचल प्रशासन ने 8 जुलाई को नोटिस दिया था। नोटिस में कब्जाधारियों को 7 दिनों की मियाद दी गई थी, जो 14 जुलाई को खत्म हो गई। इस दौरान नोटिस पाने वाले 5 लोगों ने कमोबेश अपने कब्जे की चादर समेट ली, लेकिन एक बड़े सरकारी भू-भाग पर से एक इंच भी कब्जा नहीं हटा। इस विषय पर सीओ का कहना था कि अतिक्रमणकारियों को प्रशासन की ओर तीन नोटिस भेजा जाएगा। यदि इसके बाद अतिक्रमण नहीं हटा तो प्रशासनिक कार्रवाई होगी। लेकिन अफसोस अब तक प्रशासन ने दूसरा नोटिस नहीं जारी किया है। इससे अंचल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।

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