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एक चूक और टाटा स्टील को उठाना पड़ा अरबों का नुकसान

वेस्ट बोकारो में बोकारो नदी ने लिया रौद्र रूप, क्वायरी एबी की सैकड़ों फीट गहरे खुली खदान में जल प्रलय, खदान में 100 करोड़ की हाईवॉल मशीन, करोड़ों के...

एक चूक और टाटा स्टील को उठाना पड़ा अरबों का नुकसान
हिन्दुस्तान टीम,रामगढ़Sun, 04 Aug 2024 05:30 PM
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वेस्ट बोकारो, निज प्रतिनिधि। टाटा स्टील वेस्ट बोकारो डिवीजन से सटे बोकारो नदी के जल प्रलय और एक चूक से टाटा स्टील वेस्ट बोकारो डिवीजन को अरबों का नुकसान उठाना पड़ा है। क्वायरी एबी सेक्टर-ए में नदी का पानी भरने के कई कारण रहे होंगे। लेकिन उसमें से दो महत्वपूर्ण कारणों में नदी पार करने के लिए बनाए गए पुल के ह्युम पाईप का सकरा होना। जिसमें बरसात के समय बहकर आने वाले लकड़ी, झाड़ियों और अवशेषों के फंसने से पानी के तेज वेग के रुकने से पानी के विपरित दिशा में प्रवाहित होना। वहीं दूसरा कारण नदी के समीप खदान वाले सीमाना पर ओबी का मजबूत वॉल खड़ा नहीं कर पाना है। बोकारो नदी ने खदान के जिस हिस्से को अपना शिकार बनाया वह बेहद ही कमजोर और नदी के समानांतर था। उक्त स्थल पर अगर लंबी चौड़ी ओबी की दीवार बनाई गई होती तो शायद इतनी बड़ी घटना को रोका जा सकता था। लेकिन समय रहते इसपर किसी ने ध्यान नहीं दिया। बहरहाल आज उक्त खदान पर चारों तरफ पानी का साम्राज्य कायम है। जिसमें 100 करोड़ का हाईवॉल माइनिंग मशीन, करोड़ों का दो हेवी शॉवेल मशीन, ड्रिल मशीन, डोजर, रॉक ब्रेकर और कैंपर वाहन जलसमाधी ले चुके हैं। दूसरी ओर सैकड़ों मजदूरों का बैठना, पानी निकालने के लिए आगे के होने वाले प्रयास, कोयला खनन प्रभावित होना, वर्त्तमान बिगड़ चुकी व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए किया जा रहे प्रयास की अगर हम आकलन करेंगे तो कंपनी को अरबों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है।

खदान में तीन शिफ्ट में लगभग 300 मजदूर थे कार्यरत

वेस्ट बोकारो डिवीजन का क्वायरी एबी खदान पुराना रिवर साईट और सिरमोहान का ईलाका हुआ करता था। उक्त खदान में टाटा स्टील के तीनों शिफ्ट मिलाकर ऑपरेशन और मेंटेनेंस में लगभग 300 मजदूर कार्य करते थे। खदान के जलमग्न हो जाने से सभी कार्यरत मजदूरों को दूसरे साईट में एडजस्ट करना कंपनी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।

जलमग्न खदान को पुराने अस्तित्व में आने में लग सकते हैं महिनों

गहरे खदान में जमे पानी को निकालने और पुराने अस्तित्व में वापस आने में महिनों का समय लग सकता है। जिसके लिए कंपनी वरीय अधिकारियों की बैठकें जारी है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस व्यापक पानी को खदान से निकालने के लिए बड़े मोटर्स और पंप का सहारा लिया जाएगा। जिसे बाहर से मंगवाया जाएगा। कंपनी इस प्रयास में जुटी है कि जितनी जल्द पानी की निकासी हो सके और खदान में पुन: उत्पादन का कार्य प्रारंभ किया जा सके।

पेयजल की व्यवस्था को दुरुस्त करने में जुटा प्रबंधन

इस आपदा में रिवर साईट बोकारो नदी तट स्थित पानी की सप्लाई के लिए लगाए गए दर्जनों मोटर पंप और सिस्टम जलमग्न हो चुके हैं। ऐसे में कंपनी का जल आपूर्ति विभाग युद्ध स्तर पर पाईप लाईन को दुरुस्त करने में जुटा है। जिससे क्षेत्र वासियों को पानी की आपूर्ति की जा सके।

खदान में भरे पानी को भविष्य के लिए पुंडी डैम में किया जा सकता है स्टोर

क्वायरी एबी खदान में जमा पानी को अगर कंपनी पुंडी डैम में रिस्टोर करती है तो भविष्य में पेयजल संकट से बचाव किया जा सकता है। उक्त पानी को नदी में ना बहाकर उसे अन्यत्र स्टोर करने से निर्भर आबादी के खपत के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।

राहत भरा रहा रविवार, राहत कार्य जारी

शनिवार और रविवार राहत भरा रहा। बारिश के बंद होने से राहत कार्य में जुटे मजदूर कार्य में जुटे रहे। बोकारो नदी और पुल के समीप जमा बालू और मिट्टी को कई पॉकलेन मशीन के सहारे किनारे करने का काम जारी रहा। जिससे नदी के प्रवाह में कोई समस्या और अवरोध उत्पन्न न हो। वहीं पाईप लाईन के मजदूर भी पाईप लाईन को दुरुस्त करने में जुटे रहे।

स्लरी पाउंड के नीचे के मिट्टी खिसक रही

पुल से सटे कोयले की स्लरी पाउंड के नीचे की मिट्टी भी खिसक रही है। अगर लगातार बारिश होती है और नदी में बहाव तेज होता है तो ऐसी सूरत में नदी की तेज धारा में बनाए गए पाउंड के नीचे की मिट्टी का कटाव तेजी से हो जाएगा। जिससे पाउंड में जमा किया गया स्लरी कोयला नदी में प्रवेश कर जाएगा। इसे समय रहते दुरुस्त नहीं किया गया तो इस बरसात में दूसरी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

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