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प्रकृति और रिश्तों को जोड़ता है करमा पर्व

झारखंड में करमा पर्व कृषि और प्रकृति से जुड़ा पर्व है, जिसे झारखंड के सभी समुदाय हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। करम नृत्य को नई फ़सल आने की खुशी में लोग नाच गाकर मनाते हैं। इस पर्व को भाई-बहन के निश्छल...

प्रकृति और रिश्तों को जोड़ता है करमा पर्व
हिन्दुस्तान टीम,रामगढ़Tue, 10 Sep 2019 12:12 AM
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करमा पर्व झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों का लोकपर्व है। यह पर्व फसलों और वृक्षों की पूजा का पर्व है। इस पर्वमें झारखंडी संस्कृति और लोक नृत्य कला का आनन्द करमा पर्व में भरपूर देखने को मिलता है। आदिवासियों के पारंपरिक परिधान लाल वार्डर की सफेद रंग की साड़ियां पहने लड़कियां जगह-जगह लोक नृत्य करते नजर आएंगी। झारखंड में करमा कृषि और प्रकृति से जुड़ा पर्व है, जिसे झारखंड के सभी समुदाय हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। करमा नृत्य को नई फ़सल आने की खुशी में लोग नाच गाकर मनाते हैं। इस पर्व को भाई-बहन के निश्छल प्यार के रूप में भी जाना जाता है। इस दौरान बरकाकाना, सीआईसी बस्ती, डुड़गी, घुटूवा, हेहल, पीरी, मसमोहना, कंडेर, सिधवार, कोड़ी, कड़रू, जोबो, बारीड़ीह, खपिया, उरलुंग, पाहनबेड़ा, लाईनपार आदि गांवों में प्रकृति पर्व करमा धुमधाम से मनाया गया। लोग मांदर के थाप पर जमकर नृत्य किया।

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