रामगढ़। योगेंद्र कुमार सिन्हा
अधिकारियों की तरह अब नगर निकाय के जनप्रतिनिधियों को भी पूर्ण रूप से जिम्मेवार बनना पड़ेगा। नगर निकाय के नियमावली के किसी भी तरह के उल्लघंन की स्थिति में जनप्रतिनिधियों पर भी जांच और कार्रवाई की तलवार लटकी रहेगी। सरकार के नगर विकास विभाग की ओर से इस संबंध में 27 जनवरी को जारी अधिसूचना जनप्रतिनिधियों को भी सेवा नियमावली में बांध दिया है। जिसमें नगर विकास विभाग में नगर निकायों में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आने वाले शिकायतों की जांच अब अधिकारी करेंगे। सबसे बड़ी बात निकायों में जनप्रतिनिधियों के निर्णयों को लागू करने वाले अधिकारी ही उनके खिलाफ जांच के लिए आने वाली शिकायतों की सुनवाई में शामिल होंगे।
क्या है सरकार की अधिसूचना:
समस्त नगर निकाय से संबंधित जन प्रतिनिधियों के विरुद्ध गठित आरोप एवं उनसे प्राप्त बचाव बयान की सुनवाई के लिए विभाग स्तर पर दो सदस्ययी जांच समिति का गठन किया गया है। इस जांच समिति में अपर सचिव नगर विकास एवं आवास विभाग झारखंड अरूण कुमार रतन को जांच अधिकारी के रूप में रखा गया है। वहीं संबंधित निकायों के नगर आयुक्त अपर नगर आयुक्त, कार्यपालक पदाधिकारी, विशेष पदाधिकारी या उनकी ओर से नामित कोई राजपत्रित पदाधिकारी को प्रस्तुतीकरण पदाधिकारी के रूप में अधिकृत किया गया है। नामित पदाधिकारी को संबंधित विभाग के सहायक प्रशाखा पदाधिकारी, नगर प्रबंधक विभागीय समिति को सहयोग प्रदान करेंगे।
इलेक्टेड लोग पर कार्रवाई की पहले नहीं थी कोई व्यवस्था:
नगर निकायों में पूर्व निर्वाचित जनप्रतनिधियों के खिलाफ आने वाली शिकायत पर जांच या कार्रवाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। हालांकि निर्वाचित प्रतिनिधि(अनुशासन एवं अपील) नियमावली 2020 में जांच और कार्रवाई के लिए प्रावधान तो बना दिये गए लेकिन पहली बार इसके लिए अधिकारियों को सरकार की ओर से नामित किया गया है।