प्राचीन दुर्गा मंडप में मां कोजागरी लक्ष्मी की पूजा आज
रामगढ़ में शारदीय नवरात्र के बाद शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की पूजा का आयोजन किया गया। बंगाली परिवार इसे कोजागरी लक्ष्मी पूजा के रूप में मनाते हैं। विभिन्न मंदिरों में पूजा-पाठ विधिवत प्रारंभ हुआ,...

रामगढ़, नगर प्रतिनिधि। शारदीय नवरात्र की पूर्णाहुति के बाद शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर नगर के विभिन्न मंदिरों में मां लक्ष्मी की पूजा-पाठ होती है। खासकर बंगाली परिवार इसे कोजागरी लक्ष्मी पूजा के रूप में मनाते है। शहर स्थित पतरातु बस्ती सार्वजनिक पूजा स्थल, मिलोनी क्लब रामगढ़ और सार्वजनिक दुर्गापूजा मंडप चट्टीबाजार गोलारोड में मां की प्रतिमा स्थापित कर धूमधाम से पूजा-अर्चना बंगला पद्धति से मनाई जायगी। पूजा को लेकर पंडाल सजाये गये है। पंडाल में कोजागरी लक्ष्मी मां की मूर्ति स्थापित कर संध्या सात बजे से पूजा-पाठ विधिवत प्रारंभ होगा। पुष्पांजलि, आरती, प्रसाद वितरण की तैयारी की गई है।
इस पूजा में केला, नारियल, चूड़ा, पुडी खीर मुख्य रूप से माँ को अर्पित की जाती है। महिलाएं इस पूजा में बढ़ चढ़ कर सम्मिलित होती हैं। रात को पूजा समाप्ति के बाद लोग घर के छत पर बर्तन में खीर रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को अमृत- वर्षा होती है। दूसरे दिन मूर्ति का विसर्जन बंगाली टोला के ऐतिहासिक धंधार पोखर में कर दिया जाता है। (पिछले 15 वर्षो से गंदगी के कारण विसर्जन बंद था) वर्तमान दुर्गा पूजा समिति में राहुल मजूमदार, विक्की सिंह भीमा सिंह, परितोष सिंह,विवेक गोस्वामी, युधिष्ठिर सिंह, सुकुमार सिंह, जीतू सिंह , किशन सिंह,सुमित सिंह आदि हैं। प्राचीन दुर्गा मन्दिर संरक्षक सह पुजारी स्व विमलानंद गोस्वामी, स्व शंभुनाथ गोस्वामी, स्व जगदीश चक्रवर्ती एवं ड्योढ़ी के स्व बाबू भृगुदयाल सिंह तथा स्व. बाबू गौरीनाथ सिंह की सलाह पर तत्कालीन दुर्गा पूजा समिति के पदाधिकारी स्व दीनबंधु मेहता, स्व अखिल सिंह, स्व अश्वनी सिंह स्व.काशीनाथ गोस्वामी, स्व सूरज मल भगत, सदस्य आशुतोष सिंह, स्व नारायण सिंह, सुभाष सिंह आदि ने 1966 से प्राचीन दुर्गा मंदीर गोला रोड में कोजागरी लक्खी पूजा प्रारंभ की थी।
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