अधिकांश छठव्रतियों का सहारा बनेगा बिजुलिया तालाब बांध
दामोदर नदी के पानी का दायरा बढ़ने के बाद अब छठव्रतियों के लिए बिजुलिया तालाब बांध एकमात्र सहारा नजर आ रहा है। इस कारण छठपूजा में बिजुलिया तालाब बांध में छठव्रतियों सहित श्रद्धालुओं का जनशैलाब उमडेगा।...
दामोदर नदी के पानी का दायरा बढ़ने के बाद अब छठव्रतियों के लिए बिजुलिया तालाब बांध एकमात्र सहारा नजर आ रहा है। इस कारण छठपूजा में बिजुलिया तालाब बांध में छठव्रतियों सहित श्रद्धालुओं का जनशैलाब उमडेगा। हालांकि बिजुलिया तालाब बांध के सुंदरीकरण को लेकर तालाब में काम चल रहा है। तालाब से पूरा पानी निकालने के बाद उसे जेसीबी के माध्यम से गहरा करने की योजना है। तालाब का पानी लगातार निकाला जा रहा था। लेकिन दुर्गा पूजा को देखते हुए पानी निकासी को बंद कर दिया गया। क्योंकि मूर्ति विसर्जन करने में श्रद्धालुओं को दिक्कत होती। फलत: बीच-बीच में हुई बरसात के कारण तालाब में पानी बढ़ गया है। बिजुलिया और विकास नगर पूजा पंडाल की मूर्तियों को तालाब में ही विसर्जित किया गया। इन दिनों तालाब में करीब पांच से छह फुट पानी है, जो छठव्रतियों के लिए काफी अच्छा है।
तालाब के पानी की लगातार निकासी होने के कारण तालाब के चारों ओर समतल जमीन हो गई है। इस कारण छठव्रती तालाब के चारों ओर पूजा कर सकते है। पूर्व के वर्षो में सिर्फ सामनेवाले क्षेत्र में छठव्रती पूजा-अर्चना करते थे। क्योंकि तालाब अन्य क्षेत्र पानी से भरा हुआ था। अनुमान के अनुसार तालाब के चारों ओर कम से कम 30 हजार छठव्रती आसानी के साथ पूजा कर सकते है। मत्स्य और जिला प्रशासन को व्यवस्था करने में भी दिक्कत नहीं होगी। कम पानी होने की वजह से किसी के ढुबने का खतरा नहीं के बराबर हो जाएगा।
प्रत्येक वर्ष छठ पूजा के दौरान बिजुलिया पूजा कमेटी यहां पूरी व्यवस्था करती है। उम्मीद है कि इस वर्ष भी करेगी। पूजा के पूर्व छावनी परिषद और पूजा कमेटी की ओर से तालाब और उसके आसपास के क्षेत्रों की साफ-सफाई की जाती है। इस बार दोनों को थोड़ी मेहनत अधिक करनी पड़ेगी। क्योंकि तालाब के आसपास के जमीन को पूर्णत: समतल कर गंदगी को हटाना होगा। इसके बाद पूजा के लायक जमीन हो जाएगी।