Basic Facilities Lack in Jayantibeda Tola Residents Struggle for Essentials बोले रामगढ़: 15 किमी की दूरी से थके ग्रामीण बोले-बस एक राशन दुकान चाहिए, Ramgarh Hindi News - Hindustan
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बोले रामगढ़: 15 किमी की दूरी से थके ग्रामीण बोले-बस एक राशन दुकान चाहिए

गोला के साड़म पंचायत के जयंतिबेड़ा टोला के हजारों लोगों को बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। पेयजल, सड़क, स्वास्थ्य और राशन की समस्याओं से जूझ रहे ग्रामीण सरकारी मदद के लिए दर दर भटक...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामगढ़Wed, 21 May 2025 03:17 AM
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बोले रामगढ़: 15 किमी की दूरी से थके ग्रामीण बोले-बस एक राशन दुकान चाहिए

गोला। प्रखंड के साड़म पंचायत के जयंतिबेड़ा टोला के हजारों लोगों को आज भी बुनियादी सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं। जंगल के बीच पहाड़ पर बसे इस टोला में पेयजल और सड़क की स्थिति बदहाल है। राशन कार्ड से मिलने वाले सरकारी अनाज के लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है। तीन टोलों के करीब 200 लोगों को राशन कार्ड मिला है। टोला में सार्वजनिक वितरण प्रणाली पीडीएस की दुकान नहीं है। राशन लेने के लिए 15 किमी दूर साड़म जाना पड़ता है। हिन्दुस्तान के बोले रामगढ़ की टीम से टोले ले लोगों ने समस्या साझा की। गोला प्रखंड के सुदूरवर्ती जयंतिबेड़ा व जाराबंदा टोला के लगभग 500 परिवार आज भी मौलिक सुविधाओं से वंचित है।

सड़क, सफाई, स्वास्थ्य, पेयजल, रोजगार और अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए यहां के लोग सरकार की ओर टकटकी लगाए हुए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि एक दशक पूर्व पंचायत से जोड़ने वाली मुख्य ग्रामीण सड़क की अबतक मरम्मत नहीं हो पाई है। मोहल्ले के रास्तों, गलियों व नालों का भी यही हाल है, जिसे देखने वाला कोई नहीं है। स्वास्थ्य सुविधा नदारद है। पेयजल के लिए एकाध सरकारी चापाकल लगाए हैं, जो बेकार है। टोला तक जाने के लिए वाहन नहीं चलता है। जिससे लोगों को पैदल ही सफर करना पड़ता है। सबसे अधिक राशन कार्डधारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी राशन और केरोसीन लाने के लिए उन्हें मालवाहक ऑटो किराए पर लेना पड़ता है। दुकान तक आने-जाने में 50 रुपए किराया देना पड़ता है। किराए के अभाव में सैकड़ों गरीब लोग राशन दुकान तक का सफर पैदल तय करते हैं। कई लोगों ने बताया कि लंबी दूरी के कारण राशन लाने के लिए पुरुष कतराते हैं। मजबूरी में घर की महिलाओं को राशन लाना पड़ता है। मुहल्लेवासी बुनियादी समस्याओं से परेशान हैं। यहां के लोग इन समस्याओं से अब आजिज हो गए हैं। लोगों का कहना है कि चुनाव के समय जो भी नेता यहां तक आते हैं। विकास का सुनहरा सपना दिखाकर चले जाते हैं। जीतने के बाद पांच वर्ष तक पलट कर इधर का रुख तक नहीं करते हैं। आगामी चुनाव में अब नेताओं को भी सबक सिखाया जाएगा। जो भी नेता यहां आएंगे उन्हें विकास नहीं तो वोट नहीं की नारेबाजी कर समस्याओं से अवगत कराएंगे। जो नेता पुख्ता आश्वासन देंगे, सभी लोग उन्हीं को वोट करेंगे। कई युवकों ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान नेता जब वोट मांगने आएंगे तो उन्हें यहां के लोगों के बदतर जीवन का आइना दिखाया जाएगा। मुहल्ले के रास्तों में गंदगी का अंबार दिखाई देगा। मवेशियों के मलमूत्र और सभी घरों में नाले में फैली गंदगी के दुर्गंध से मुहल्लेवासियों का जीना मुहाल हो गया है। लोगों का कहना है कि सरकारी तंत्र की उदासीनता के कारण उन्हें यह पीड़ा झेलनी पड़ रही है। टोला की झुमरी देवी, लाखो देवी, भुवनेश्वरी देवी और अन्य ने कहा हम लोग यहां पीढ़ियों से रह रहे हैं। हम नहीं चाहतें कि आने वाली पीढ़ियां भी उन्हीं मुश्किलों का सामना करे। पहले जंगलों में जीने के लायक भोजन मिल जाता था। अब तो जंगल भी उजड़ गए हैं। महिलाओं ने कहा कि मूलभूत सुविधाओं के बिना जिंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती है। टोला तक गाड़ी चलने लायक सड़क तो सोंच से परे है। हमारे मौलिक मानवाधिकार तक नहीं हैं। हम सब दुनिया से अलग थलग होकर जीवन गुजारने को मजबूर हैं। टोला में अगर किसी के पास मोबाइल या टीवी है, तो उसे नेटवर्क के लिए जुझना पड़ता है। हम लोगों को बमुश्किल कभी कभार अखबार पढ़ने को मिलता है। सरकार और प्रशासन की उदासीनता के चलते आज भी मोहल्ले के लोग नरकीय जिंदगी जीने को मजबूर हैं। आज तक इस क्षेत्र में जितने भी विधायक और सांसद चुने गए उन्होंने यहां पर सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटी सेकी है। 200 के करीब राशन कार्डधारी हैं इन तीनों टोले मेंे जयंतिबेड़ा टोले में करीब 200 राशन कार्डधारी हैं। सरकारी राशन लेने के लिए लोगों को लंबी दूरी तय कर पैदल ही साड़म गांव स्थित जनवितरण प्रणाली की दुकान जाना पड़ता है। कई बार सैकड़ों लोग दुकान बंद रहने से वापस लौट जाते हैं। इस टोला तक ऑटो भी नहीं चलता है। कुछ कार्डधारी ऑटो लेकर डीलर के पास अनाज लाने जाते हैं। इसके लिए उन्हें 50 रुपए किराया भरना पड़ता है। किसी ने अबतक नहीं सुनी ग्रामीणों की फरियाद ग्रामीणों ने बताया कि इस समस्या को लेकर उपायुक्त, डीएसओ, एमओ और बीडीओ को कई बार आवेदन दे चुके हैं। इसके बाद भी समस्या के समाधान के लिए की किसी की ओर से कोई कार्रवाई नहीं जा रही है। जिसके कारण कई साल से टोले के सैकड़ों परिवार बेबस हैं। मुखिया किरण देवी ने बताया कि टोला के लोगों को राशन लाने के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। हाथियों के आतंक से भी त्रस्त हैं टोले में रहनेवाले लोग जंगल के बीच पहाड़ के उपर बसा होने के कारण जयंतिबेड़ा टोला के लोग वर्षों से जंगली हाथियों से त्रस्त हैं। हाथियों की चपेट में आकर कई ग्रामीण असमय अपनी जान गंवा चुके हैं। हाथी जंगलों से निकलकर अक्सर टोला में घुसकर उत्पात मचाते रहते हैं और मकान व फसलों को बेतहासा नुकसान पहुंचा कर जंगल की ओर चले जाते हैं। हाथियों का झुंड लाखों रुपये की संपत्ति को क्षति पहुंचा चुके हैं। बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं लोग साड़म पंचायत के अंतिम टोला जयंतिबेड़ा व जाराबंदा टोला के लोग बुनियादी सुविधाओं से भी महरूम हैं। इन टोलों में छह सौ से अधिक परिवार रहते हैं। यहां से गुजरने वाली स्वर्ण रेखा नदी रांची व रामगढ़ जिले को अलग करती है। इन टोलों में न तो मुख्य सड़क की हालत ठीक है और न ही इससे जुड़े संपर्क पथ चलने के लायक है। टोला में स्वास्थ्य उपकेंद्र की भी कोई सुविधा मौजूद नहीं है। किसी के बीमार पड़ने पर टोला वासियों को 15 किलोमीटर दूर सड़म गांव इलाज करवाने के लिए जाना पड़ता हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को हमलोगों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए और परेशानियों से हमें निजात दिलानी चाहिए। स्वास्थ्य केंद्र की है जरूरत आज भी सड़म पंचायत के जाराबंदा व जयंतिबेड़ा के टोलों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। टोला में न तो स्वास्थ्य केंद्र है और न ही पीने के लिए पानी मिलता है और न ही चलने के लिए अच्छी सड़क है। लोगों की मजबूरी का अंदेशा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां के लोग अपनी बीमारी के इलाज के लिए अंधविश्वास में भरोसा कर झाड़फूंक करा रहे हैं। जयंतिबेड़ा के लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी सरकार से मिलने वाले सस्ते अनाज को प्राप्त करने के लिए यहां के लोगों को साड़म जाना पड़ता है। साड़म की दूरी 15 किमी है। लोगों को जंगल पहाड़ के रास्ते से होकर आने जाने में 30 किमी का चक्कर लगाना पड़ता है। - किरण देवी,मुखिया, साड़म पंचायत मापदंड के आधार पर पीडीएस लाइसेंस निर्गत किया जाता है। नए सर्वे के अनुसार 2000 की आबादी में जनवितरण प्रणाली की दुकान खोला जा सकता है। पीडीएस दुकान खोलने के लिए सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाता है। अगर जयंतिबेड़ा टोला में पीडीएस दुकान खोल भी दिया जाए तो हमेशा नेटवर्क प्रॉब्लम रहेगा। -अरविंद महतो,प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी गोला सरकारी अनाज प्राप्त करने के लिए हमें मशक्कत करनी पड़ती है। सरकार व प्रशासन को टोला में पीडीएस की दुकान खोलना चाहिए। -रामेश्वर महतो टोला के लोग सुविधाओं से महरूम हैं। सरकार को हमारी बेबसी पर ध्यान देना चाहिए। राशन के लिए तीन दिन तक साड़म जाना पड़ता है। -सुनीता देवी जयंतिबेड़ा टोला तक वाहन नहीं चलता है। किराए का मालवाहक ऑटो लेकर अनाज लेने जाना पड़ता है। 50 रुपए किराया देना पड़ता है।-तुलसीदास महतो टोला में सड़क, सफाई, स्वास्थ्य, पेयजल, रोजगार, पेयजल बदहाल है। यहां के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए दशकों से आस लगाए हैं। -कौलेश्वर महतो टोला में स्वास्थ्य उपकेंद्र भी नहीं है। बीमार पड़ने पर उन्हें 15 किमी दूर सड़म गांव इलाज करवाने के लिए जाना पड़ता हैं। -कोलेश्वर महतो राशन लाने के लिए हमें काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। जिला व प्रखंड स्तरीय अधिकारियों को कई बार समस्या से अवगत कराया गया। -सुकरमनी देवी सालो भर हाथियों का आतंक रहता है। जंगल से निकल कर जंगली हाथी आए दिन टोला में घुस जाते हैं और मकान-फसलों को नष्ट करते हैं। -अजीज अंसारी ई पोस मशीन में अक्सर नेटवर्क प्राब्लम की शिकायत रहती है। इसके कारण फिंगर प्रिंट के लिए काफी परेशानी होती है। -कमलेश महतो एक दशक पूर्व तक जंगल से खाने लायक फल मिल जाता था। लेकिन जंगलों के खत्म होने से हमारी परेशानी बढ़ गई है। -रामलगन भोगता अवैध कटाई से जंगलों में रहने वाले लोगों के खाद्य पदार्थ का एक बड़ा आधार छिन गया है। जिसका सीधा प्रभाव वनवासियों पर पड़ा है। -जेठु भोगता रोजगार की तलाश में अधिकतर युवक युवती दूसरे प्रदेश पलायन करने के लिए विवश हैं। सरकार को हमें रोगार के साधन मुहैया कराए। -पंचमी देवी टोला हाथी प्रभावित क्षेत्र है। जंगली जानवरों के घुसने का खतरा हमेशा बना रहता है। सरकार को स्थानीय विद्यालय में घेराबंदी करानी चाहिए। -लखीचरण भोगता

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