गिद्दी। निज प्रतिनिधि
आनंदमार्ग का ऑनलाइन एकदिवसीय धर्म महासम्मेलन का आयोजन गुरुवार को किया गया। आनंदमार्ग के भूक्तिप्रधान जेनेरल रामगढ़ गिद्दी प्रतिमा दीदी ने बताया इस आयोजन में रामगढ़ कोयलांचल के हजारों आनंदमार्गियों ने करोना के कुप्रभाव के कारण अपने घर से ही आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया। उन्होंने कहा इसमें प्रचारक संघ के पुरोधा आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने आनंदमार्ग मुख्यालय आनंद नगर से दुनिया के पुरोधाओं को संबोधित किया। आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने अनुयायियों को संबोधित करते हुए कहा जीवन का लक्ष्य शास्त्रों में मोक्ष प्राप्ति है और इसके तीन मार्ग बताए गए हैं जिसमें ज्ञान, कर्म और भक्ति है। परंतु बाबा श्री आनंदमूर्ति जी ने इसे खंडन करते हुए कहा कि भक्ति पथ नहीं है बल्कि भक्ति लक्ष्य है जिसे हमें प्राप्त करना है। साधारणत: लोग ज्ञान और कर्म के साथ भक्ति को भी पथ या मार्ग ही मानते हैं परंतु ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि जीवन की सभी अनुभूतियां होती भक्ति की अनुभूति सर्वश्रेष्ठ है। ज्ञान मार्ग और कर्म मार्ग के माध्यम से मनुष्य भक्ति में प्रतिष्ठित होते हैं। उन्होंने कहा कि भक्ति मिल गया तो सब कुछ मिल गया इसके बाद और कुछ प्राप्त करने को कुछ नहीं बच जाता है।