संतान की लंबी उम्र के लिए महिलाओं ने रखा जीवित्पुत्रिका व्रत
महिलाओं ने अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत रखा। नहाए-खाए के बाद, महिलाओं ने निर्जल रहकर पूजा-अर्चना की और व्रत कथा का श्रवण किया। यह...

मेदिनीनगर, प्रतिनिधि। अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए महिलाओं ने जीवित्पुत्रिका व्रत रखा। इसे लोक परंपरा में जितिया व्रत भी कहा जाता है। नगर निगम क्षेत्र सहित ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में महिलाओं ने श्रद्धा और उत्साह के साथ इस कठिन व्रत का पालन किया। शनिवार को नहाए-खाए की परंपरा के साथ इसकी शुरुआत हुई। रविवार को व्रती महिलाओं ने निर्जल रहकर स्नान-ध्यान करने के बाद मंदिरों और घरों में पूजा-अर्चना की। इस दौरान महिलाओं ने जीवित्पुत्रिका व्रत कथा का श्रवण करते हुए अपने बच्चों की लंबी आयु और परिवार की समृद्धि की मंगलकामना की।
सोमवार को शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण किया जाएगा। महिलाओं ने बताया कि यह व्रत तीन दिनों तक चलने वाला कठिन अनुष्ठान माना जाता है। महिलाएं पूरी श्रद्धा से नियम और संयम का पालन करती हैं। व्रतधारियों का मानना है कि इस व्रत से संतान की रक्षा होती है और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। रविवार को नगर के प्रमुख मंदिरों और पूजा स्थलों पर महिलाओं की काफी भीड़ रही। महिलाओं ने पारंपरिक गीत गाते हुए और धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ व्रत संपन्न किया। ग्रामीण क्षेत्रों में भी सामूहिक रूप से व्रत कथा का आयोजन हुआ। इस अवसर पर पूरे वातावरण में धार्मिक आस्था और पारंपरिक संस्कृति का विशेष रंग देखने को मिला।
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