दीक्षांत समारोह के बाद अधूरे बालिका छात्रावास को कराया जाएगा पूर्ण : कुलपति
मेदिनीनगर, संवाददाता। मातृशक्ति की उपासना काल शारदीय नवरात्र में तृतीय दीक्षांत समारोह की तैयारी में तत्परता से जुटे नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के

मेदिनीनगर, सतीश सुमन। मातृशक्ति की उपासना काल शारदीय नवरात्र में तृतीय दीक्षांत समारोह की तैयारी में तत्परता से जुटे नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि जीएलए कॉलेज परिसर में 12 साल से निर्माणाधीन बालिका छात्रावास को पूरा कराने की पहल शीघ्र शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि तृतीय दीक्षांत समारोह संपन्न कराने के बाद इस दिशा में कार्य किया जाएगा। वे जब एनपीयू में योगदान देने पहले दिन आए थे, उसी दिन अधूरे पड़े बालिका छात्रावास का परिसर ने ध्यान खींचा था। फिलवक्त निर्माणाधीन बालिका छात्रावास परिसर में उगकर बड़े-बड़े हो गए झाड़ियों की सफाई करा दी गई है।
कुलपति ने हिन्दुस्तान को बताया कि संबंधित संवेदक से कार्य पूरा कराने में सहयोग के लिए पलामू के उपायुक्त के उपायुक्त को तीन पत्र लिखा जा चुका है। उन्हे जानकारी मिली है कि उपायुक्त स्तर से भी एक पत्र संबंधित संवेदक को लिखा जा चुका है। हालांकि यह सच्चाई है कि अबतक अधूरे पड़े बालिका छात्रावास को पूरा कराने की दिशा में संवेदक की ओर से कोई पहल नहीं की गई है। परंतु वे समस्या का निदान निकालने की पहल करेंगे ताकि उस परिसर का सदुपयोग हो सके। पलामू से संविधान सभा में दो सदस्य रहे यदुवंश सहाय और अमिय कुमार घोष के नाम पर विश्वविद्यालय में भवन का नामकरण करने संबंधी राजभवन के निर्देश का अनुपालन नहीं होने और अमर शहीद नीलांबर-पीतांबर शोध संस्थान गठन संबंधी एनपीयू के निर्णय पर भी पहल नहीं होने के मामले पर भी कुलपति ने गंभीरता जताई। उन्होंने कहा कि संबंधित निर्देश व निर्णय उनके संज्ञान में नहीं आया है। संबंधित पत्र की जवाबदेही रजिस्ट्रार सेल की है। नए स्थाई रजिस्ट्रार प्रो. डॉ. नफिस अहमद ने योगदान देकर काम शुरू कर दिया है। दीक्षांत समारोह के बाद इस दिशा में भी पहल की जाएगी। विश्वविद्यालय के चार नए भवनों में सभी का नामकरण पूर्व में किया जा चुका है। इसे बदलने की दिशा में पहल उचित नहीं होगा। परंतु भविष्य में बनने वाले भवन का नामकरण निश्चित रूप से दोनों महापुरुषों के नाम पर करने की पहल की जाएगी। नीलांबर-पीतांबर शोध पीठ गठन की दिशा में भी कदम आगे बढ़ाने की पहल की जाएगी। उल्लेखनीय है कि जीएलए कॉलेज परिसर में 2012 में 80 लाख की लागत से बालिका छात्रावास का निर्माण शुरू किया गया है। करीब 70 लाख रुपये का भुगतान संवेदक को किया भी जा चुका है। जीएलए कॉलेज पलामू प्रमंडल और एनपीयू का प्रिमियर कॉलेज है जिसने 71 साल की गौरवपूर्ण यात्रा पूरा कर चुकी है। सह-शिक्षा की व्यवस्था के कारण इस कॉलेज में अब भी बड़ी संख्या में छात्राएं विज्ञान, कला, तकनीक, शिक्षा संकाय में अध्ययनरत हैं परंतु छात्रावास की अनुपलब्धता के कारण उन्हे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। एनपीयू का एकेडमिक भवन और सेंट्रल लाइब्रेरी भी बनकर तैयार है परंतु इसका उपयोग अबतक शुरू नहीं हुआ है। कुलपति का आवास निर्माण का काम भी पूरा हो गया है परंतु सुरक्षा संबंधित चुनौतियों को अबतक दूर नहीं किया गया है। इसके कारण उसका भी उपयोग नहीं हो रहा है। सुरक्षा के निमित विश्वविद्यालय परिसर में पुलिस आउट पोस्ट की स्थापना की मांग भी की जा रही है।
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