दाल, भात और साग खाकर आराम करना टीपीसी दस्ते के लिए बना घातक
साग खाना शुभ माना जाता है, लेकिन सोमवार को दाल, भात और साग खाकर आराम करना टीपीसी नक्सलियों के लिए अशुभ साबित हुआ। पुलिस के साथ मुठभेड़ में हेसाग पहाड़ी पर टीपीसी के तीन सदस्य मारे गए और तीन गिरफ्तार...
साग खाना शुभ माना जाता है, लेकिन सोमवार को दाल, भात और साग खाकर आराम करना टीपीसी नक्सलियों के लिए अशुभ साबित हुआ। पुलिस के साथ मुठभेड़ में हेसाग पहाड़ी पर टीपीसी के तीन सदस्य मारे गए और तीन गिरफ्तार हुए।
छतरपुर थाना क्षेत्र के ढुन्ढूर गांव के हेसाग पहाड़ी पर सोमवार की सुबह 12 बजे के करीब सीआरपीएफ 134 बटालियन की टीम और जिला बल ने कुख्यात टीपीसी कमांडर गिरेन्द्र और नितांत के दस्ते के साथ हुए मुठभेड़ में तीन एरिया कमांडर को मार गिराया और तीन नक्सलियों को गिरफ्तार किया। टीपीसी के सदस्य 24 की संख्या में हेसाग पहाड़ पर सुबह करीब छह बजे पांडू के इलाके से पहंुचे थे।
हेसाग पहाड़ पर दस्ता रुका हुआ था, दस्ता के कुछ सदस्य डून्दूर बस्ती में गए थे। एक दर्जन परिवारों को दो-दो व्यक्ति का खाना पकाने को कहा था। खाना खाने के बाद दस्ता इलाका छोड़ कर जाने वाला था। ग्रामीण करीब 10.30 के दाल भात और साग टीपीसी के दस्ते को खाने के लिए ले कर पहुंचे थे। टीपीसी के सदस्य खाना खाने के बाद पहाड़ पर दो बड़े महुआ के पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे। खाना खाने के बाद शाम चार बजे गांव छोड़ कर जाने की योजना थी। इसी बीच 11.45 में सीआरपीएफ 134 की एक कम्पनी सहायक कमान्डेंट राजेन्द्र हरिजन के नेतृत्व में उतर पूरब जबकि प्रशिक्षु डीएसपी विमेलेश त्रिपाठी के नेतृत्व में उतर पश्चिम के तरफ से पहुंचा। सुरक्षा बल के जवान ही पहाड़ के नजदीक पंहुचे एक लड़के को उन्होंने रोकने को कहा, टीम ने जैसे ही लड़का को रोका टीपीसी के सदस्यों ने फायरिंग शुरू कर दिया। 11.45 से 1.30 बजे तक चली गोली में तीन नक्सली मारे गए, जबकि तीन गिरफ्तार हुए।
अपने ही घर में घिरे टीपीसी के सदस्य
हेसाग पहाड़ पर पहले भी टीपीसी के सदस्य आते जाते थे, लेकिन सोमवार को अपने ही घर में घिर गए और मारे गए। जिस जगह पर दस्ता रुका हुआ था, उस जगह तीन छोटी पहाड़ी की श्रृंखला है और दुन्दर गांव करीब 500 मीटर की दूरी पर है। टीपीसी के दस्ता पहाड़ के पहली श्रृंखला पर रुका हुआ था। यह पहाड़ पर जाने के दौरान गांव के तरफ से आने वाले नजर नहीं आते हैं, जिस कारण टीपीसी के सदस्यों को सुरक्षाबलों के आने की भनक नहीं लगी।
कुआं में छुप कर मजदूरों ने बचाई जान
मुठभेड़ स्थल से कुछ दूर मनरेगा के तहत कुआं का निर्माण हो रहा था। करीब आधा दर्जन मजदूर लगे हुए थे, जैसे ही गोली चलनी शुरू हुई मजदूर कुआं के अंदर छिप गए। मजदूर करीब दो घंटे तक कुआं के अंदर ही रहे। एक ग्रामीण ने बताया कि जबरदस्ती खाना बनाया जाता था, विरोध करने पर मारने की धमकी दी जाती थी।