प्रेमचंद पहले साहित्यकार हैं जो समाज के घटित घटनाओं को रचना में उकेरा : प्रो. डा. अरूण
जीएलए कॉलेज में बुधवार को हिन्दी विभाग ने प्रेमचंद की 132 वीं जयंती पर व्याख्यान माला का आयोजन किया। व्याख्यान माला का विषय- प्रेमचन्द की भाषा और साहित्य...
जीएलए कॉलेज में बुधवार को हिन्दी विभाग ने प्रेमचंद की 132 वीं जयंती पर व्याख्यान माला का आयोजन किया। व्याख्यान माला का विषय- प्रेमचन्द की भाषा और साहित्य था। गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में रांची विवि के रिटायर प्राध्यापक प्रो.डॉ अरुण कुमार और विशिष्ट अतिथि के रूप में एनपीयू के वीसी प्रो. डॉ सत्येन्द्र नारायण सिंह थे। गोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रो. डॉ कुमार ने कहा कि प्रेमचंद प्रारंभ में मदरसा में फारसी पढ़ा करते थे। इसके अलावे वे पान दुकान में बैठकर आजाद फसाना, बेताल पीचीसी, लियो टॉल्सराय की सारी कहानियां पढ़ डालते थे। प्रेमचंद 1900 से 1915 ई. के बीच 65 कहानियां और चार उपन्यास लिख चुके थे। प्रेमचंद ने जमामा को लिखने के लिए प्रेरित किया। वे यर्थाथ पर विश्वास करते थे। प्रेमचंद पहले साहित्यकार थे,जिन्होंने समाज में घटित घटनाओं को अपनी रचनाओं में उकेरा है। उनके साहित्य में कई भाषाओं का समावेश है। कुलपति डॉ एसएन सिंह ने कहा कि किसी साहित्य पर ज्यादा अध्ययन उनका नहीं है,परंतु प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यासों को नहीं पढ़ा यह कहना अतिश्योक्ति होगी। उन्होंने कहा किइस तरह का व्याख्यान होना चाहिए। इसके लिए विवि प्रशासन आर्थिक सहयेाग भी करेगी। धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य डॉ जेके खलको ने किया। इस मौके पर डॉ आरआर किशोर, डॉ एसपी सिन्हा, प्रो. रामानुज शर्मा, डॉ मंजू सिंह, डॉ सुरेश साहु, डॉ अजय कुमार पासवान, प्रो. गोविंद तिवारी समेत काफी संख्या में शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे।