Inspiring Shift to Organic Farming Farmers in Patra Village Adopt Amrit Agriculture Method अमृत कृषि पद्धति से सिंध बासमती धान का किया सफल उत्पादन, Palamu Hindi News - Hindustan
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अमृत कृषि पद्धति से सिंध बासमती धान का किया सफल उत्पादन

पलामू जिले के हुसैनाबाद प्रखंड के ग्राम पथरा में 20 ग्रामीण किसानों ने अमृत कृषि पद्धति के तहत प्राकृतिक खेती को अपनाया है। गोबर और गोमूत्र का उपयोग कर सिंध बासमती धान की 11 क्विंटल फसल सफलतापूर्वक...

Newswrap हिन्दुस्तान, पलामूWed, 25 Dec 2024 11:19 PM
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अमृत कृषि पद्धति से सिंध बासमती धान का किया सफल उत्पादन

हुसैनाबाद, प्रतिनिधि। पलामू जिले केहुसैनाबाद प्रखंड के ग्राम पथरा में अमृत कृषि पद्धति के तहत ग्रामीण किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाने का प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया गया है। ग्राम में गोबर, गोमूत्र और स्थानीय जैविक संसाधनों का उपयोग कर सिंध बासमती धान की खेती की गई। इस परियोजना में कुल 20 किसानों ने सहभागिता की और 11 क्विंटल धान का सफल उत्पादन हुआ। इस विधि से धान की अच्छी फसल करने से किसानों में काफी उत्साह है। बीज के लिए सुरक्षित धान गांव गाड़ी संस्था से₹40 प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा गया है। किसानों को तत्काल भुगतान किया गया। मुखिया नरेश पासवान के प्रयास से गांव में इस विधि से धान की खेती की गई। पथरा के मुखिया नरेश पासवान के अथक प्रयास और मार्गदर्शन से यह पहल सफल हो सकी। अमृत कृषि पद्धति के माध्यम से गांव अब रसायन मुक्त खेती की दिशा में अग्रसर हो रहा है। ग्रामीणों की इस सफलता ने पूरे क्षेत्र में एक नई उम्मीद जगाई है।सिंध बासमती धान की खेती में योगदान देने वाले किसानों में संजय कुमार, विनोद कुमार, जमुना बैठा, शारदा देवी, रामप्यारे राम, ममता देवी, परमेश्वर मेहता, राणा सिंह, राम ब्रिज राम, रामदेव पासवान, प्रमोद मेहता, महेश मेहता, संजय मेहता, तुलसी मेहता, देवंती देवी, कर्म देव यादव, अर्जुन मेहता शामिल है। गांव गाड़ी के प्रतिनिधि प्रशांत ओझा ने बताया कि सिंध बासमती धान की सफलता से प्रेरित होकर, अब पथरा के किसान 5 एकड़ भूमि पर खापली गेहूं (देसी बीज) की खेती कर रहे हैं। यह कदम भी प्राकृतिक खेती की दिशा में एक और महत्वपूर्ण प्रयास है। मुखिया नरेश राम ने बताया कि स्वावलंबी योजना की दीदीयों का योगदान इसमें काफी सराहनीय है। गांव में कार्यरत स्वावलंबी योजना की दीदीयों ने इस परियोजना में सक्रिय भूमिका निभाई, जिससे खेती के सभी चरणों में किसानों को प्रोत्साहन और सहयोग मिला। यह पहल न केवल रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा दे रही है, बल्कि ग्रामीण समुदाय को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अमृत कृषि पद्धति के जरिए कृषि उत्पादन की गुणवत्ता और पर्यावरण संरक्षण का यह प्रयास पूरे क्षेत्र में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।

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