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साहब! फिर अइसन टीका काहे लगा देलन...

पलामू प्रमंडलीय आयुक्त राजीव अरूण एक्का बुधवार को सदर अस्पताल पहुंचकर आईसीयू में भर्ती टीकाकरण के बाद मृत उज्जवल की मां रिंकी देवी से कुशल क्षेम पूछा। इस क्रम में बिलखती हुई रिंकी देवी ने कहा कि उसका...

साहब! फिर अइसन टीका काहे लगा देलन...
हिन्दुस्तान टीम,पलामूThu, 12 Apr 2018 01:34 AM
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पलामू प्रमंडलीय आयुक्त राजीव अरूण एक्का बुधवार को सदर अस्पताल पहुंचकर आईसीयू में भर्ती टीकाकरण के बाद मृत उज्जवल की मां रिंकी देवी से कुशल क्षेम पूछा। इस क्रम में बिलखती हुई रिंकी देवी ने कहा कि उसका सपना टूट गया। उन्होंने कहा कि 'साहब! हमरा तो ना बुझायल पर टीका देवे वाली तो पढ़ी लिखी हलन, फिर अइसन टीका काहे लगा देलन, कि हमर बेटा उज्जवल हमरा से दूर चल गेल।' कमिशनर ने रिंकी देवी को ढाढस बंधाते हुए कहा कि हिम्मत रखें, सब ठीक होगा। कमिशनर ने रिंकी से पूछा कि कितने बच्चे हैं‌? रिंकी ने बताया कि दो बेटे थे। बड़ा बेटा आदर्श, प्राईवेट स्कूल में पढ़ता है जबकि छोटा उज्ज्वल था। मृत बच्चा आर्यन की मां बबीता देवी ने कमिशनर को बताया कि उसका एक ही बेटा था जो दुनिया से चला गया। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की बबीता फिलवक्त गर्भवती है और इसी माह में उसका प्रसव होना है। कमिश्नर ने सीएस डॉ कलानंद मिश्र को बबीता का संस्थागत प्रसव सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया। बरती देवी से भी कमिशनर से पूछा कितने बच्चे हैं? बरती ने बताया कि एक लड़का और दो लड़की है, संजू कुमारी सबसे छोटी थी, जो कम उम्र में ही छोड़कर चली गई। संजू की मौत की खबर सुनकर उसकी मौसी लाखो देवी भी बीमार पड़ गई है। कमिशनर ने उससे भी कुशल क्षेम पूछा। इलाज में न हो किसी तरह की कोताहीप्रमंडलीय आयुक्त ने ऑन ड्यूटी चिकित्सक और सिविल सर्जन डॉ कलानंद मिश्र से टीकाकरण के बाद बच्चे को गंवाने वाली इलाज के बारे में विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने कहा कि इलाज में किसी तरह की कोताही नहीं होनी चाहिए। उन्होंने अब तक हुए इलाज संबंधी भी चिकित्सकों से सवाल किया जिसका जवाब चिकित्सकों ने दिया। मौके पर सिविल सर्जन डॉ कलानंद मिश्र, डीपीएम प्रवीण सिंह, डॉ आरके रंजन, डॉ जॉन एफ केनेडी समेत अन्य चिकित्सक उपस्थित थे।एप्रोन में नजर आएं चिकित्सक और कर्मीप्रमंडलीय आयुक्त को सदर अस्पताल में आने की सूचना पर ड्यूटी में तैनात चिकित्सक और कर्मी लंबे समय बाद एप्रोन में नजर आएं। सदर अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे मरीजों के मरीजों ने भी कहा कि काश! इसी तरह प्रतिदिन चिकित्सक और कर्मी एप्रोन पहनकर रहते तो मरीजों को इलाज कराने में सहुलियत होती। नियमित रूप से एप्रोन में चिकित्सक ओर कर्मी सदर अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात नहीं रहने के कारण चिकित्सक और कर्मियों को खोजने में मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

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