बोले पलामू-स्वच्छ पेयजल और साफ-सफाई की है दरकार
छतरपुर में बोले पलामू कार्यक्रम के दौरान हिन्दुस्तान को अपने शहर की समस्याएं बताते स्थानीय

पलामू जिले का छतरपुर अनुमंडल मुख्यालय सिटी सह नगर पंचायत फोरलेन नेशनल हाइवे के दोनों तरफ बसा बेहतरीन शहर है। यहां से हुसैनाबाद और नौडीहा होते गया (बिहार) के लिए भी स्टेट हाइवे निकलती है। हाल के दो दशक में छतरपुर अनुमंडल का तेजी से व्यवसायीकरण होने से सिटी की आबादी, पक्के मकान और कारोबारी गतिविधियां भी बढ़ी हैं। परंतु नगरीय सुविधाओं का विकास अभी भी बेहद खराब स्थिति में है। पाइप लाइन से स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति, मोहल्ले की सड़कों का पक्कीकरण आदि नहीं हो सका है। हिन्दुस्तान के बोले पलामू कार्यक्रममें छतरपुर शहरवासियों ने खुलकर अपनी पीड़ा को साझा किया। मेदिनीनगर। पलामू जिले के उत्तरी क्षेत्र में स्थित छतरपुर सिटी में कारोबारी गतिविधि तेजी से विकसित हो रहा है। अपनी बेहतरीन लोकेशन के कारण यह आसपास की आबादी की दृष्टि से यह शहर मध्य में स्थित है। मेदिनीनगर से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित छतरपुर शहर से गैंडट्रंक रोड की दूरी भी 50 किलोमीटर है। इसके कारण मेदिनीनगर से औरंगाबाद के बीच चलने वाली यात्री बसों का लंबा ठहराव भी छतरपुर में ही होता है।
छतरपुर शहर के आसपास बसने वाले दुग्ध उत्पादकों के उत्पादों की अच्छी खपत छतरपुर में इसी कारण ज्यादा होती है। बेहतरीन रसगुल्ले के लिए शहर खूब जाना जाना है। हालांकि अब अन्य मिठाइयां और हरी सब्जियां भी इस शहर में प्रत्येक दिन मिलने लगे हैं। जबकि एक दशक पहले छतरपुर शहर में ताजी हरी सब्जियों के लिए साप्ताहिक बाजार का इंतजार करना पड़ता था।
उग्रवाद से पूरी तरह जकड़े छतरपुर शहर में भी उनके खिलाफ आवाज उठाने की कोई हिम्मत नहीं करता था। करीब 30 साल पहले अनुमंडल अधिसूचित कर एसडीएम और एसडीपीओ की पदस्थापना किए जाने के बाद भी धीरे-धीरे कानून का शासन की स्थापना की दिशा में पहल शुरू हुई। अब भी उग्रवाद से यह अनुमंडल पूरी तरह मुक्त नहीं हुआ है किंतु छतरपुर शहर अब पूरी तरह खुली हवा में सांस लेती है। इसलिए जब इसे नगर पंचायत अधिसूचित किया गया तो लोगों ने बड़ा बदलाव, नगरीय सुविधाओं की सहज उपलब्धता, सुरक्षा का बेहतर माहौल की कल्पना किया था। परंतु करीब एक दशक के सफर के बावजूद यह सुविधा छतरपुर शहरवासियों को सुलभ नहीं हो पाया है। 16 वार्डो में विभक्त छतरपुर नगर पंचायत के आधे से अधिक वार्ड अभी भी ग्रामीण वातावरण से बाहर नहीं आ सके हैं। वहीं शहरीकरण का स्वरूप हासिल कर चुके वार्ड गंदगी, बेतरतीब जीवनशैली, घोर पेयजल संकट, स्ट्रीट लाइट के बेकार पड़े पोल, असुविधाजनक अस्पताल, जर्जर सरकारी स्कूल भवन आदि को झेलने के लिए विवश हैं। शहर की सड़कों और नालियों की नियमित सफाई मुख्य शहर में भी नहीं हो पा रही है। शहर में पार्किंग की समस्या का निदान निकालने में प्रशासन अबतक विफल रहा है। मंगलवार को छतरपुर सिटी में साप्ताहिक हाट लगता है। इससे दिनभर सड़क पर जाम की स्थिति बनी रहती है। एनएच-139 का बाइपास बन जाने से लंबी दूरी के मालवाहक गाड़ियों के चालकों को थोड़ी राहत मिली है। परंतु यात्री बसों के चालकों की परेशानी बनी हुई है। शहरवासी कई बार इन समस्याओं की ओर प्रशासन का ध्यान खींचा है परंतु निदान नहीं निकल पा रहा है। शहर में स्थित राजकीयकृत प्लस-2 हाईस्कूल के मैदान को स्टेडियम के रूप में पहल करने की दिशा में पहल शुरू हुई है। परंतु स्कूल की हालत में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है। बालिकाओं की शिक्षा के लिए सरकारी स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं है। संस्था के माध्यम से संचालिक बालिका हाईस्कूल सुविधा के लिए तरस रहा है। मेन रोड का मिडिल स्कूल कूड़ादान बनकर रह गया है। शहर के व्यवसायी दीपक यादव ने कहा कि छतरपुर शहर में विकास की पूरी संभावना है परंतु उस दिशा में काम नहीं हो पा रहा है। शहर के पेयजल का भी गंभीर संकट बरकरार है। सुरक्षा को लेकर चुस्त व्यवस्था शहर में नहीं हो पा रही है।
शहर में शीघ्र हो बस और टेंपो स्टैंड का निर्माण
छतरपुर को अनुमंडल बने 30 वर्षों से ज्यादा समय हो गया है परंतु आज भी यहां टेंपू और बस स्टैंड नहीं है। सके कारण सड़क के किनारे यत्र तत्र गाड़िया खड़ी होकर सवारियां उठाने को विवश है। बड़े वाहनों को सड़क के किनारे खड़े होने से जहां एक ओर आवागमन के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध नहीं हो पाता है वहीं अक्सर जपला रोड और मेन रोड में जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। राहगीरों को भी अलग-अलग स्थानों से गाड़ियां पकड़नी पड़ती है। ऐसे स्थिति में शहरवासियों को एक स्थाई स्टैंड चाहिए जहां से वे विभिन्न स्थानों के लिए सुगमतापूर्वक वाहन पकड़ सके।
अनुमंडलीय अस्पताल में हो समुचित व्यवस्था
आसपास की बड़ी आबादी के लिए अनुमंडल अस्पताल पर निर्भर है परंतु बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहा अनुमंडलीय अस्पताल ग्रामीणों की सोच और स्वास्थ्य विभाग के दावे के अनुरूप बड़े अस्पताल के तमगा के बावजूद मरीजों का प्राथमिक उपचार भी बेहतर नहीं कर पाता है। अक्सर यही मरीजों को एमआरएमसीएच रेफर कर दिया जाता है। मरीज 50 किलोमीटर दूर या तो औरंगाबाद जाना पसंद करते है या मेदिनीनगर। दोनों ओर से लंबी दूरी होने के कारण गंभीर स्थिति में मरीजों के समक्ष बड़ी चुनौती आ जाती है। एकमात्र उपाय छतरपुर अनुमंडलीय अस्पताल को दुरुस्त करना है।
गिरता जा रहा है जलस्तर
नगर पंचायत छतरपुर में पेयजल की अद्यतन स्थिति बेहद खराब है। एक ओर विभिन्न मुहल्ले का जलस्तर गिरता जा रहा है। वहीं दूसरी ओर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में सकारात्मक पहल तेजी से नहीं हो रही है। चुनाव के समय मुख्य पेयजल की समस्या मुख्य मुद्दा बनता है मगर कुछ समय बाद यह ठंडे बस्ती में चला जाता है। सरकारी स्तर पर तेज प्रयास किए जाने से सभी को पाइपलाइन से शुद्ध पेयजल मुहैया कराना कतई मुश्किल नहीं है।
बिजली की नियमित आपूर्ति की जाए
छतरपुर नगर पंचायत में बिजली के अनियमित आपूर्ति से लोग बेहद परेशान है। गर्मी प्रारंभ होती ही बिजली की आंख मिचौली प्रारंभ हो जाती है। वर्तमान समय में मात्र 12-14 घंटे ही बिजली की आपूर्ति की जा रही है। बिजली की आपूर्ति से न केवल बड़े उपकरण बल्कि घर के दैनिक दिनचर्या में भी नियमित आपूर्ति की बेहद आवश्यकता पड़ती है। बाजार क्षेत्र के दुकानदारों के लिए होटल, किराना आदि छोटे दुकानों में ग्राहकों की मांग के अनुरूप समानों की आपूर्ति नहीं हो पाती है। परिणामस्वरूप लोग अस्त व्यस्त जीवन जीने को विवश हो जा रहे हैं।
समस्याएं
1. छतरपुर शहर में बाईपास बनने के बाद भी जाम की समस्या यथावत है, बस स्टैंड, टेंपो स्टैंड अबतक नहीं बना है।
2. शहर में जगह-जगह शौचालय तो बने हैं, लेकिन समुचित रखरखाव का अभाव है। सड़क, नाली भी नहीं बन रही है।
3. छतरपुर शहर की 80 फ़ीसदी आबादी पूरे वर्ष पेयजल की समस्या से जूझती आ रही है। लोग पानी खरीदकर पीते हैं।
4. बिजली कटने के बाद पूरा शहर रात में अंधेरे में डूब जाता है। वैकल्पिक लाइट की कोई व्यवस्था नहीं है। इससे लोग काफी परेशान रहते हैं।
सुझाव
1. अगर शहर में ऑटो स्टैंड बस स्टैंड बन जाती तो जाम की समस्या से शहरवासियों को निजात मिल सकती है।
2. शहर में बने शौचालय की नियमित सफाई की व्यवस्था की जाए तो वह इस्तेमाल करने योग्य हो जाएगी।
3. सुख नदिया डैम में वाटर प्लांट लगाकर पूरे शहर को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराई जा सकती है, पहल जरूरी है।
4. शहर में बड़ी संख्या में स्ट्रीट लाइट नियमित रख-रखाव नहीं होने से खराब पड़े हुए हैं। उनकी समुचित ट्रैकिंग करने की आवश्यकता है।
इनकी भी सुनिए
शहर में पेयजल की समस्या से निपटने के लिए पुराने टैंकर का रिपेयर कराया जा रहा है। खराब पड़े लघु जल मीनार और चापाकलों को दुरुस्त किया जा रहा है। सड़क , स्ट्रीट लाइट , नाली का निर्माण कराने के लिए विभाग को याचिका भेजी जा चुकी है।
फैजुर रहमान अंसारी, कार्यपालक पदाधिकारी
शहर में समस्याओं का अंबार है। पीसीसी सड़क, ईंट सोलिंग आदि में व्यापक गड़बड़ी की जा रही है। जनता का पैसा बर्बाद हो रहा है। सड़क, चिकित्सा, स्ट्रीट लाइट, नाली, सफाई आदि की व्यवस्था दुरुस्त हो, यह अपेक्षा है। छतरपुर शहर में जाम की समस्या गंभीर है।
ई. सुरेश कुमार
नगर पंचायत बनने के बाद मोहल्ले में नाली, सड़क आदि का निर्माण नहीं कराया गया है। पेयजल समस्या का निदान निकालने की दिशा में भी पहल नहीं की गई है।
लव कुमार तिवारी
छतरपुर नगर पंचायत बनने के बाद शहर में तेजी से आबादी बढ़ रही है। लोग बसते जा रहे हैं, परंतु नागरिक सुविधाओं का विकास नहीं हो रहा है।
संजय साव
नगर पंचायत के पदाधिकारी और कर्मी मनमाने ढंग से कार्य कर रहे हैं। शहर के लोगों की समस्याएं, नगर पंचायत कार्यालय में अनसुनी की जाती है। शिकायत पर कार्रवाई नहीं होती। प्रदीप कुमार यादव
छतरपुर शहर में पेयजल की समस्या बनी रहती है। अब तक कोई स्थाई समाधान नहीं निकल सका है। शुद्ध पेयजल की समस्या से प्रत्येक परिवार जूझ रहे हैं।
राजन कुमार
शहर में बच्चों और लोगों के मनोरंजन के लिए एक भी पार्क का निर्माण नहीं किया गया है। शहरीकरण के नाम पर सिर्फ होल्डिंग टैक्स वसूली जा रही है। कंचन कुमार
शहर के सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी से विद्यालय के बच्चों का पठन-पाठन बेपटरी हो चुका है। अभिभावक निजी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए विवश हैं। सिंटू कुमार
शहर में जगह-जगह डस्टबिन लगे हैं, परंतु अधिकांश जरूरत वाले जगह पर नहीं लगे हैं। डस्टबिन से कूड़े का नियमित उठाव नहीं होने से गंदगी पसरी रहती है। शिवम कुमार
छतरपुर शहर के वार्ड-16 के टडियाही मोहल्ले में सड़क-बिजली और पानी की व्यवस्था नहीं हो सकी है। इसके कारण मोहल्ले के लोग परेशान रहते हैं।
पप्पू यादव
शहर का एक मोहल्ला तेनुडीह जहां आज भी लोग कुएं का पानी पीने को ही विवश है। मोहल्ले में बांस के खंभे से बिजली पहुंची है। मोहल्ले में पक्की सड़क तक नहीं बनी। कल्याण यादव
छतरपुर के शहरीकरण का फायदा लोगों को अबतक नहीं मिल सका है। प्रशासन को लगता है कि सड़क, पेयजल, स्वच्छता, स्ट्रीट लाइट आदि की सुविधा की कोई जरूरत नहीं है। दीपक कुमार
छतरपुर सिटी में जगह-जगह शौचालय तो बने हैं लेकिन उनकी नियमित सफाई नहीं होती है। इसके कारण शौचालय इस्तेमाल करने योग्य नहीं है।
चंदन कुमार
शहर में अनुमंडलीय अस्पताल मौजूद है, लेकिन सही ढंग से प्राथमिक उपचार की सुविधा भी नहीं है। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल रही है।
राजू कुमार
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