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पहल : बेटियों के नाम से जाने जाएंगे भरटिया गांव के घर, हर दरवाजे पर लगेगा बेटियों के नाम का नेम प्लेट

मधया पंचायत अंतर्गत आने वाले छोटे से गांव भरटिया के लोग एक नई पहल करने जा रहे हैं। अब जल्द ही इस गांव के हर दरवाजे के बाहर उस घर की बेटी/बेटियों के...

पहल : बेटियों के नाम से जाने जाएंगे भरटिया गांव के घर, हर दरवाजे पर लगेगा बेटियों के नाम का नेम प्लेट
हिन्दुस्तान टीम,गढ़वाSat, 11 Sep 2021 03:10 AM
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गढ़वा। प्रतिनिधि

मधया पंचायत अंतर्गत आने वाले छोटे से गांव भरटिया के लोग एक नई पहल करने जा रहे हैं। अब जल्द ही इस गांव के हर दरवाजे के बाहर उस घर की बेटी/बेटियों के नाम से नेम प्लेट लगाई जाएगी।

दरअसल शुक्रवार को डिप्टी कलेक्टर सह जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने उक्त गांव जाकर वहां की मुखिया, पंचायत समिति प्रतिनिधि, गणमान्य बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चियों के बीच मंथन बैठक कर उक्त सुझाव दिया। मुखिया बिंदु देवी और उपस्थित ग्रामीणों ने इसे सहर्ष स्वीकार किया।

113 परिवार का है भरटिया गांव:

सदर प्रखंड अंतर्गत आनेवाले भरटिया गांव में 2011 की जनगणना के अनुसार कुल 113 परिवार रहते हैं। उच्च साक्षरता और शहर के नजदीक होने के बावजूद इस गांव में स्त्री पुरुष लिंगानुपात बहुत कम है। यहां 1000 पुरुषों में सिर्फ 740 महिलाओं वाला अनुपात है जो राष्ट्रीय औसत लिंगानुपात 943 और झारखंड राज्य के औसत लिंगानुपात 948 से बहुत ही कम है। इतना ही नहीं बच्चों में लिंगानुपात की स्थिति और भी ज्यादा खराब है। इस गांव में बाल लिंगानुपात महज 658 ही है। अर्थात यहां 1000 बच्चों के बीच महज 658 बच्चियां हैं। इस विसंगति का कारण जानने और सामाजिक बदलाव के लिए आवश्यक अभियान चलाने के लिए डीइओ उक्त गांव पहुंचे हुए थे।

मेरी बेटी, मेरी पहचान:

घरों के बाहर बेटियों के नाम से नेम प्लेट लगाने की पहल डीइओ ने अपने पूर्व पदस्थापन जिला पूर्वी सिंहभूम में उक्त नाम से अभियान चलाया था। उसका आसपास के इलाकों में गहरा प्रभाव पड़ा था। कुछ उसी तर्ज पर गढ़वा में भी कम लिंगानुपात वाले गांवों में जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से सामाजिक प्रशासनिक अभियान चलाए जाने की वह कोशिश कर रहे हैं।

बेटियों के नाम नेम प्लेट क्यों:

डीइओ संजय कुमार ने बताया कि बच्चियों के नाम से दरवाजों पर नेम प्लेट लगाने से न केवल बच्चियों में आत्मविश्वास बढ़ेगा बल्कि गांव में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक पॉजिटिव परिवेश बनेगा। उन्होंने कहा कि सामाजिक बदलाव की गति बहुत धीमी होती है किंतु कुछ पॉजिटिव प्रयासों सेअपेक्षित परिणाम जरूर आते हैं। मुखिया बिंदु देवी ने कहा कि वे 'मेरी बेटी, मेरी पहचान' जैसी मुहिम को लेकर आशान्वित हैं। मुखिया ने कहा कि

वह स्वयं शिक्षकों की मदद से अगले तीन दिनों में गांव का वास्तविक सर्वेक्षण कर लिंगानुपात की मौजूदा स्थिति जानेंगी। साथ ही सभी बच्चियों का नाम और उनकी माताओं का नाम संकलित करेंगी ताकि नेम प्लेट बनवाई जा सके। मौके पर पंचायत समिति प्रतिनिधि सुनील राम, समाजसेवी जितेंद्र सिन्हा उज्जवल चौबे, प्रेमनाथ तिवारी, संजय चौबे, अवध तिवारी, प्रिंस तिवारी, कौशल तिवारी, अंकिता, ज्योति, काजल, खुश्बू सहित अन्य मौजूद थे।

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