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भू अर्जन कार्यालय नहीं मानता 1956 की बंदोबस्ती को रैयती

1956 के जमींदारी बंदोबस्ती से जिन रैयतों ने जमीन हासिल किया है, भू अर्जन कार्यालय उन्हें रैयत नहीं मानता । ऐसे सभी रैयतों का नाम थ्री डी में शामिल करने से भू अर्जन पदाधिकारी ने साफ इंकार कर दिया...

भू अर्जन कार्यालय नहीं मानता 1956 की बंदोबस्ती को रैयती
हिन्दुस्तान टीम,पलामूFri, 13 Jul 2018 11:45 PM
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1956 के जमींदारी बंदोबस्ती से जिन रैयतों ने जमीन हासिल किया है, भू अर्जन कार्यालय उन्हें रैयत नहीं मानता । ऐसे सभी रैयतों का नाम थ्री डी में शामिल करने से भू अर्जन पदाधिकारी ने साफ इंकार कर दिया है। जबकि राज्य सरकार और उसके अंचल तक के अधिकारी 1956 में जमींदार द्वारा बंदोबस्त की गयी जमीन को रैयती मान रहे हैं ।छतरपुर से हरिहरगंज तक हाइवे के चौड़ीकरण की प्रक्रिया चल रही है । फरवरी में ही अधिसूचना जारी हो चुकी है । पुराने सर्वे को आधार मानकर जारी की गयी अधिसूचना में छतरपुर से हरिहरगंज के बीच अधिग्रहण की जाने वाली भूमि की सूची में पचास एकड़ से अधिक बंदोबस्त जमीन अधिग्रहण के दायरे में है, जिन पर जमीन मालिकों को रैयती हक प्राप्त है । ऐसे रैयत भू अर्जन की नीतियों से बेहद खफा हैं । सिलदाग से छतरपुर तक के ऐसे दर्जनों रैयतों ने पेट्रोल पंप के समीप एक बैठक करके भू अर्जन का विरोध करने का फैसला किया है । इनका कहना है कि भू अर्जन कार्यालय को थ्री डी निकालने के पूर्व ही सभी रैयतों के कागजात का अध्ययन करना चाहिए और बंदोबस्त जमीन धारी लीगल रैयतों का नाम थ्री डी में दर्ज करना चाहिए । ऐसा न करके विभाग खामखा जमीनी विवाद पैदा कर रहा है ।अधिषोषणा जारी होने को है । थ्री डी बनाने का काम अंतिम चरण में है । अधिग्रहण नीति के जमीनी न होने के कारण रामगढ़ के लोग भू अर्जन का पहले ही विरोध कर चुके हैं ।

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