पेसा कानून लागू होने से ही बचेगी जमीन व संस्कृति: विक्टर
पाकुड़ में एक होटल में आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की कार्यशाला हुई। इस कार्यशाला में पी पेसा कानून 1996 पर चर्चा की गई। विक्टर मालतो ने कहा कि पेसा कानून के सही लागू होने से ही आदिवासी समुदाय की जमीन और...

पाकुड़। शहर स्थित एक होटल में आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की कार्यशाला शनिवार को राष्ट्रीय संयोजक विक्टर मालतो की अध्यक्षता में हुई। कार्यशाला में संसदीय अधिनियम पी पेसा कानून 1996 को लेकर चर्चा हुई। विक्टर मालतो ने कहा कि पी पेसा कानून के प्रावधानों को पूर्ण रूप से लागू करने पर ही आदिवासी-मूलवासियों की जमीन और संस्कृति बची रह सकती है। आगे कहा कि पेसा कानून को लेकर सरकार के अधिकारी भ्रम फैला रहे हैं। इस अधिनियम में अनुसूचित क्षेत्र के लिए पंचायत के उपबंधों का विस्तार किया गया है, लेकिन सरकार के अधिकारी बता रहे हैं कि अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायती व्यवस्था का विस्तार किया गया है। इससे आदिवासी समुदाय में भ्रम फैल रहा है। उन्होंने कहा कि संसदीय कानून पेसा 1996 की धारा 3 एवं 4 अनुसूचित क्षेत्र में विभिन्न आदिवासी समुदायों की रूढ़ीगत पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था की अगुवाई वाली ग्राम सभा को जल, जंगल व जमीन की सुरक्षा तथा सांस्कृतिक एवं आर्थिक विकास के लिए प्रशासन एवं नियंत्रण की शक्ति दी गई है। लेकिन झारखंड में 24 वर्ष होने के बाद भी पेसा कानून के अनुरूप नियमावली नहीं बनाई गई है। इस समय राज्य सरकार के द्वारा पेसा कानून के नाम पर सामान्य क्षेत्र की तरह मुखिया की व्यवस्था को तमाम शक्तियां सौंप दी गई है और पारंपरिक नेतृत्व वाली ग्राम सभाओं को शक्तिहीन बना दिया गया है। कार्यशाला में अध्यक्ष सुरजू टुडू, जितेंद्र मुर्मू, कमलाकांत मुर्मू, सुभाषटेन टुडू, प्रधान मुर्मू, गनौरी मालतो, शिवचरण मालतो, सेबेस्टियन हेंब्रम, जोसेफ सोरेन, कीनू हेम्ब्रम, चंद्रिका पहाड़िया, सच्चीदा मरांडी, कान्हू पहाड़िया सहित अन्य मौजूद थे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।