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ननिहाल जाने की जिद में मासूम पहुंच गए अस्पताल

पिता से नानी के घर जाने की कई दिनों से जिद करने वाले मासूमों को क्या मालूम था कि उनकी यह जिद ऐसे नाजूक मोड़ पर ला खड़ा कर देगी। पिता के साथ बाइक पर सवार हो ननिहाल के लिए निकले मासूम अस्पताल पहुंच गए।...

ननिहाल जाने की जिद में मासूम पहुंच गए अस्पताल
हिन्दुस्तान टीम,पाकुड़Sat, 15 Sep 2018 02:39 AM
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पिता से नानी के घर जाने की कई दिनों से जिद करने वाले मासूमों को क्या मालूम था कि उनकी यह जिद ऐसे नाजूक मोड़ पर ला खड़ा कर देगी। पिता के साथ बाइक पर सवार हो ननिहाल के लिए निकले मासूम अस्पताल पहुंच गए। उनकी स्थिति काफी गंभीर है। अस्पताल में वह जिंदगी के बीच जंग लड़ने को विवश हैं। परिजन गंभीर अवस्था में पड़े अपने मासूमों को बेवश हो टकटकी लगाए देख रहे हैं। आंखों से बहते आंसू परिजनों की दुख को बंया कर रहे थे।

गौरतलब हो कि शुक्रवार को पाकुड़-मालपहाड़ी मुख्य मार्ग पर लोटामारा रेलवे फाटक के समीप दो बाइकों के बीच हुई भिड़ंत में एक की मौत हो गई, जबकि चार लोग जख्मी हो गए। जख्मी लोगों में दो बच्चे क्रमश: इब्राहिम (5)व शरीफ(3) शामिल हैं। ये दोनों बच्चें अपने पिता असमाउल के साथ नानी के जा रहे थे। असमाउल मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के साहापोखर गांव का निवासी है। उसकी ससुराल मालपहाड़ी ओपी क्षेत्र के सीता पहाड़ी गांव में है। असमाउल ने बताया कि बच्चे पिछले कई दिनों से अपने ननिहाल जाने की जिद कर रहे थे। लेकिन वह उन्हें घुमाने नहीं ले जा पा रहा था। शुक्रवार को सुबह से फिर बच्चे नानी के घर जाने पर अड़ गए। उनकी जिद पूरी करने के लिए वह तैयार हो गए। असमाउल ने बताया कि बच्चों को बाइक पर लेकर ससुराल जाने के लिए घर से निकला। दोनों बच्चे काफी प्रसन्न थे। बच्चों के चेहरों पर मुस्कान देख मै भी खुश था। लेकिन लोटामारा रेलवे फाटक के समीप हुई दुघटना ने परिवार के इन तीनों सदस्यों को गम के साये में ढकेल दिया। नानी के घर जाने को निकले दोनों बच्चे अस्पताल पहुंच गए। उनकी खुशियों पर गमों का पहाड़ टूट गया। इसमें शरीफ(3) की हालत काफी नाजूक है। उसकी स्थिति देख अस्पताल में मौजूद लोगों का हृदय द्रवित हो गया। जिंदगी से जंग लड़ रहे इस मासूम को बचाने के लिए अस्पताल के चिकित्सक जद्दोजहद कर रहे थे। बच्चों के पिता असमाउल की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है। उसे भी काफी चोटें आई है। घटना की सूचना मिलते ही परिजन भी रोते-बिलखते अस्पताल पहुंचे। गांव के कुछ लोग साथ आए थे। वह परिजनों को ढांढस बंधा रहे थे, लेकिन परिजनों के आंसू थमने के नाम नहीं ले रहे थे।

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