पारा शिक्षकों से किए वादे से मुकर रही सरकार: बीरेंद्र
राज्य के पारा शिक्षकों के वर्षों पुराने वेतनमान और स्थायीकरण की मांग को लेकर मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री द्वारा आश्वासन पर आश्वासन मिलने से पारा शिक्षकों में रोष है। एकीकृत...
राज्य के पारा शिक्षकों के वर्षों पुराने वेतनमान और स्थायीकरण की मांग को लेकर मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री द्वारा आश्वासन पर आश्वासन मिलने से पारा शिक्षकों में रोष है। एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राज्य कार्यकारी सदस्य बीरेंद्र कुमार राय ने विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के दिन कोडरमा के पारा शिक्षक दो घंटे के लिए अपने-अपने आवास पर उपवास पर रहेंगे और सरकार यदि मांग नहीं मानती है,तो आंदोलन को तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि झारखंड सरकार चुनाव से पूर्व किए अपने वादे से मुकर रही है। शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो के साथ 5 फरवरी की बैठक में कहा गया था कि पारा शिक्षक सेवा स्थायी नियमावली 15 दिन में बनकर तैयार हो जाएगी। लेकिन आज लगभग 6 महीने बीत चुके हैं,पर अब तक कुछ नहीं हो पाया है। इससे प्रतीत हो रहा है कि सरकार की कथनी और करनी में आसमान जमीन का अंतर है। दूसरी बैठक 9 जून को संगठन के सदस्यों के बीच हुआ था। उसमें भी सरकार की उच्च स्तरीय समिति के सभी पदाधिकारी,मंत्रीगण के साथ एकीकृत मोर्चा के सभी शीर्ष नेता मौजूद थे। इसमें नियमावली बनकर कैबिनेट में पास कर दिए जाने पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया था। पर अब तक अनेक कैबिनेट निकल चुके,लेकिन कुछ नहीं हुआ। सरकार के सभी प्रयास हाथी के दांत साबित हो रहे हैं। जेएमएम सरकार ने बजट सत्र में पारा शिक्षकों के लिए 16 सौ करोड़ का अलग से बजट का प्रावधान किया। लेकिन उसका कोई भी लाभ राज्य के पारा शिक्षकों को नहीं मिला। वर्तमान कोरोना काल की स्थिति यह है कि लगभग 3 महीने से पारा शिक्षक मानदेय नहीं मिलने से आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। कोरोना जैसी विकट परिस्थिति में बिहार सरकार नियोजित शिक्षकों को कैबिनेट से सम्मान देने का काम की है। इसे देखकर झारखंड सरकार को सीख लेने की जरूरत है। झारखंड के पारा शिक्षकों की दशा सुधारने को लेकर झारखंड सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है।
लगभग 3 हजार शिक्षक एनसी क्लियर और डीएलएड के कारण फंसे हैं,जिनका 15 महीने से मानदेय रोक दिया गया है। उनके सामने भुखमरी की स्थिति बनी है। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मामले पर संज्ञान लेने की अपील करते हुए कहा गया है कि शीघ्र राज्य के 65 हजार पारा शिक्षकों के सभी तरह की समस्याओं का समाधान करते हुए उनके नियमित करने वाली फाइल को कैबिनेट में पास करते हुए सभी के भविष्य को सुरक्षित करें। ताकि शिक्षक अपने उद्देश्य को पूरा करने में लगे रहें। ना कि किसी भी बड़े आंदोलन की रूपरेखा बनाने में विवश होना पड़े।