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दुधमुंहे बच्चों के साथ पेड़ के नीचे जी रही ललिता

बेघर ललिता अपने दो छोटे बच्चों के साथ पेड़ के नीचे गुजर कर रही है। लोहरदगा किस्को प्रखंड के तिसिया गांव में किस्को-रिचुघुटा सड़क के किनारे खुले आसमान के नीचे। मिटटी का चूल्हा-चौका, बर्तन-बासन, कुछ...

दुधमुंहे बच्चों के साथ पेड़ के नीचे जी रही ललिता
हिन्दुस्तान टीम,लोहरदगाFri, 02 Oct 2020 11:52 PM
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बेघर ललिता अपने दो छोटे बच्चों के साथ पेड़ के नीचे गुजर कर रही है। लोहरदगा किस्को प्रखंड के तिसिया गांव में किस्को-रिचुघुटा सड़क के किनारे खुले आसमान के नीचे। मिटटी का चूल्हा-चौका, बर्तन-बासन, कुछ फटे कपड़े- बस इतनी ही इसकी मिल्कियत है। यहां से रोजाना गुजरनेवाले कई अधिकारी, कर्मचारी और समाज के जिम्मेदार लोग 33 साल की इस महिला को गरीबी और कुपोषण के शिकार बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे बुरे हालातों में जीते हुए बस देखकर गुजर जाते हैं।दो अक्तूबर को जब देश बापू और शास्त्री जी की जयंती मना रहा था। ग्रामीण भारत में अब भी कायम गरीबी और अभाव की बदहाल तस्वीर ललिता के हालात में नजर आ रही थी। सुबह सात बजे बासी भात और साग एक थाली-कटोरे में रखकर खुद भी खा रही थी और अपने दूधमुंहे बच्चे को भी खिला रही थी। बच्चे के शरीर की हालत बीमार और कुपोषणग्रस्त होने का प्रमाण दे रही थी। मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि ललिता के सात भाई हैं, मगर पति से अलग होने के बाद उसे घर में नहीं रखते। कुछ दिनों तक वह आंगनबाड़ी के बरामदे में रह रही थी मगर वहां से भी उसे हटा दिया गया।ललिता ने बताया कि बगल के नाथपुर निवासी अनिल उरांव से इसकी शादी हुई थी। अनिल कहीं कमाने चला गया और फिर वापस अभी तक नहीं आया है।

अस्थायी शेड दिया जा रहा है, घर मिलेगा--बीडीओ

प्रखंड विकास अधिकारी अनिल कुमार मिंज से इस संबंध में बात करने पर उन्होंने कहा कि महिला को रहने के लिए अस्थायी शेड उपलब्ध कराया जा रहा है। अंबेडकर आवास योजना के तहत इसका घर बनवाया जाएगा। बच्चे कुपोषित पाए जाते हैं तो उन्हें कुपोषण उपचार केंद्र में भर्ती करके उनका इलाज किया जाएगा।गौरतलब है कि कुछ ही दिनों पहले इसी गांव में उपायुक्त सहित जिले के आला प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे थे। उस वक्त भी ललिता पेड़ के नीचे ही रह रही थी। आश्चर्य की बात है कि न तो प्रशासन और न ही सामाजिक राजनीतिक संगठनों ने इसकी बदहाली देखकर, तरस खाकर मदद के लिए कोई पहल की।

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