पियकड़ कविता के माध्यम से डॉ. चंद्रिका प्रसाद ने समाज को किया जागरूक
झुमरी तिलैया के डॉ. चंद्रिका प्रसाद ने अपनी कविता 'पियकड़' के माध्यम से शराब की लत के सामाजिक और पारिवारिक नुकसान पर ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने युवाओं को ज्ञान और शिक्षा को प्राथमिकता देने की...

झुमरी तिलैया, निज प्रतिनिधि। शराब की लत से हो रहे सामाजिक और पारिवारिक नुकसान को लेकर सतगांवा निवासी डॉ. चंद्रिका प्रसाद ने अपनी कविता पियकड़ के माध्यम से समाज को जागरूक करने का अनूठा प्रयास किया है। उनकी कविता, जो शराब के दुष्प्रभावों पर केंद्रित है, न केवल विचारशील है बल्कि गहरे प्रभाव डालने वाली भी है। डॉ. चंद्रिका प्रसाद ने कहा कि नए साल में हमें किताबों को अपना सबसे अच्छा दोस्त बनाना चाहिए, क्योंकि किताब से बड़ा कोई साथी नहीं होता। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे ज्ञान और शिक्षा को अपनी प्राथमिकता बनाएं और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएं।
डॉ. चंद्रिका प्रसाद ने सराहना करते हुए बताया कि हरिद्वार से आई चार बालिकाओं ने कोडरमा जिले के विभिन्न प्रखंडों में जाकर बच्चों को नशा छोड़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने मोबाइल, लैपटॉप या अन्य किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहने की अपील की। इस प्रयास को जीवन में आत्मसात करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि युवा पीढ़ी स्वस्थ और सशक्त समाज का निर्माण कर सके। उन्होंने शराब के दुष्प्रभावों पर अपनी कविता पियकड़ में शराब को एक ऐसा नाग बताया है, जो धीरे-धीरे शरीर को अंदर से खोखला कर देता है।
डॉ. चंद्रिका प्रसाद ने कहा कि शराब न केवल स्वास्थ्य को बल्कि पारिवारिक और सामाजिक ताने-बाने को भी नष्ट कर देती है। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि किस तरह शराब पीने वाला व्यक्ति खुद को और अपने परिवार को अंधकार में धकेल देता है। डॉ. प्रसाद की दिनचर्या में रामायण और गीता का पाठ शामिल है। उन्होंने बताया कि इन धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन और मंथन के बाद वे कविता की रचना करते हैं। उनका मानना है कि आध्यात्मिकता और शिक्षा ही समाज को सही दिशा दिखा सकती है।
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