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चंदवारा का बैंकुंठधाम शिव मंदिर बना आस्था का प्रमुख केंद्र

सावन का पवित्र माह शुरू हो गया है। हर ओर गेरुआ वस्त्र व कांवर लिए श्रद्धालु बाबा भोले का नारा लगाते हुए जलाभिषेक के लिए वैद्यनाथधाम के लिए रवाना हो रहे हैं। वहीं विभिन्न शिवालयों में श्रद्धालुओं की...

चंदवारा का बैंकुंठधाम शिव मंदिर बना आस्था का प्रमुख केंद्र
हिन्दुस्तान टीम,कोडरमाTue, 11 Jul 2017 06:21 PM
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सावन का पवित्र माह शुरू हो गया है। हर ओर गेरुआ वस्त्र व कांवर लिए श्रद्धालु बाबा भोले का नारा लगाते हुए जलाभिषेक के लिए वैद्यनाथधाम के लिए रवाना हो रहे हैं। वहीं विभिन्न शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ जलाभिषेक के लिए उमड़ रही है। प्रखंड के वैसे तो कई शिवालय हैं, मगर सावन में पूतो स्थित दुमुहानी वैकुंठ धाम का महत्व कुछ अलग ही है। आस्था का प्रमुख केंद्र होने के कारण इस मंदिर में सावनभर एक माह का अखंड हरिकीर्तन 10 जुलाई से शुरू हो गया है। यह वैकुंठधाम साल 1972 में स्थापित किया गया था और आज यहां सावन के हरेक सोमवारी को हजारों श्रत्रालूओं द्वारा भगवान शिव पर जलाभिषेक किया जाता है। एक महीने का करीब 720 घंटे तक लगातार हरे रामा- हरे कृष्णा के बोल बोलते हैं। आसपास गांव के लोगों का कीर्तन मंडली होता है। आचार्य सुदेश्वर पंडित जो इस आयोजन समिति अध्यक्ष हैं, वे पिछले तीन साल से अनाज और फल त्याग दिए हैं और केवल दूध पीकर भगवान की सेवा में लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ना केवल कोडरमा जिला, बल्कि पूरे झारखंड में यह अनोखा कीर्तन है, जो लगातार 720 घंटे तक किया जाता है। साथ ही प्रतिदिन एक महीने तक भंडारा भी जारी रहता है। इन सभी के आयोजन में समुदाय की भूमिका सराहनीय है, क्योंकि सभी ग्रामीण स्वेच्छा से अपना अपना कर्तव्य निभाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यहां स्वत: प्रकट हुआ शिवलिंग है और जिनकी मनोकामना पूर्ण होती वे मंदिर के कुछ भाग का निर्माण कराते हैं। करीब 4 एकड़ भूमि में फैला यह वैकुंठधाम पर्यावरण का भी संरक्षण कर रहा है। पूरे कार्यक्रम में आरागारो,सरदारोडीह,भोंडो,जोंगी, बड़कीधमराय,उरवां, सलहारा, पत्थलगढा, हरनो समेत अन्य गांवों के लोग हर प्रकार से सक्रिय हैं। हैं। सावन के अंतिम सोमवारी को कांवर पदयात्रा का आयोजन होता है, जो तिलैया डैम, बेला,मूर्तियां से हजारों भक्त जल लेकर 20 किमी तक पदयात्रा कर शिव जी पर जलाभिषेक करते हैं।

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