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झारखंड में GST से मिलेगी राहत, हेमंत सोरेन सरकार के एक फैसले से किसे होगा फायदा

  • झारखंड के व्यापारियों और करदाताओं को राहत देने के लिए मंगलवार को विधानसभा से झारखंड माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया गया। बताया जा रहा है कि इस विधेयक के पारित होने के बाद करदाताओं और व्यापारियों को राहत मिलेगी।

Mohammad Azam लाइव हिन्दुस्तान, रांचीWed, 26 March 2025 06:41 AM
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झारखंड में GST से मिलेगी राहत, हेमंत सोरेन सरकार के एक फैसले से किसे होगा फायदा

झारखंड के व्यापारियों और करदाताओं को राहत देने के लिए मंगलवार को विधानसभा से झारखंड माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया गया। वाणिज्य कर मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने संशोधन विधेयक को सदन के पटल पर रखा, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। आइए जानते हैं कि इस संशोधन के बाद किन-किन लोगों को राहत मिलेगी।

उन्होंने बताया कि संशोधित विधेयक में करदाताओं को जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) लेने का हकदार बनाया गया है। इसके लिए झारखंड माल और सेवा कर अधिनियम-2017 की धारा 16 की उपधारा (5) में एक नई धारा जोड़ी गई है। इसके तहत करदाता वित्तीय वर्ष 2017-2018, 2018-2019 और 2019-2020 और 2020-2021 तक के लिए 30 नवंबर 2021 तक फाइल किए गए जीएसटी में आईटीसी लेने के हकदार होंगे। उन्होंने बताया कि झारखंड माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 107 में उपधारा (6) में संशोधन कर खंड (ख) जोड़ा गया है। इसके तहत अपील फाइल करने के लिए प्री-डिपॉजिट की अधिकतम राशि 25 करोड़ से घटाकर 20 करोड़ की गई है। इसी तरह अधिनियम, 2017 में धारा 128-क जोड़ी गई है। इसके तहत संशोधन विधेयक में वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए धारा 73 के अधीन जारी सूचना अथवा मांग के लिए कर की राशि जमा करने पर ब्याज और पेनल्टी को माफ करने का प्रावधान किया गया है। ऐसे में कहा जा रहा है कि व्यापारियों और करदाताओं को इस विधेयक से फायदा मिलेगा।

संशोधन विधेयक को जीएसटी काउंसिल की अनुशंसा

वाणिज्य कर मंत्री ने बताया कि झारखंड माल एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक,2025 को जीएसटी काउंसिल द्वारा अनुशंसा प्राप्त है। इससे पहले संसद से वित्त विधेयक, 2024 पारित कराया गया था, जो कि अब अधिनियम बन चुका है। ऐसे में राज्य सरकार के समक्ष यह संवैधानिक बाध्यता थी कि केंद्र सरकार के अनुरूप झारखंड में भी झारखंड माल और सेवा कर विधेयक-2017 में संशोधन किया जाए।

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