
आदेश के बाद भी नहीं करवाया निकाय चुनाव, हेमंत सोरेन सरकार पर भड़का झारखंड हाई कोर्ट
संक्षेप: हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी में कहा, सरकार कोर्ट के आदेश को बाइपास कर राज्य में कानून के राज का गला घोंट रही है।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी झारखंड में नगर निकायों का चुनाव नहीं कराए जाने पर शुक्रवार को अदालत ने सरकार के खिलाफ कड़ी नाराजगी जताई। जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी में कहा, सरकार कोर्ट के आदेश को बाइपास कर राज्य में कानून के राज का गला घोंट रही है। राज्य में संवैधानिक तंत्र फेल हो गया है और लोकतंत्र को रौंदा जा रहा है।

पूर्व पार्षद रोशनी खलखो की अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को 25 अगस्त को अदालत में सशरीर हाजिर होने का निर्देश दिया, ताकि उनके खिलाफ अवमानना मामले में आरोप का गठन किया जा सके। अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी।
सुनवाई के दौरान कहा गया कि चुनाव को लेकर सरकार का रवैया सही नहीं है। हाईकोर्ट ने जनवरी में ही तीन सप्ताह में चुनाव कराने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ सरकार खंडपीठ में अपील भी की। खंडपीठ ने सरकार की अपील खारिज कर दी और एकलपीठ के आदेश को सही बताया था। इसके बाद सरकार ने खुद ही चार माह में चुनाव कराने की अंडरटेकिंग दी थी। यह समय सीमा भी समाप्त हो गई, पर चुनाव प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं की गई है। अदालत के आदेश को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।
तीन सप्ताह में चुनाव कराने का था आदेश : हाईकोर्ट ने राज्य में निकाय चुनाव कराने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए चार जनवरी 2024 को सरकार को तीन सप्ताह में चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि ट्रिपल टेस्ट के नाम पर चुनाव को रोका नहीं जा सकता। समय सीमा बीतने के बाद भी सरकार ने चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं की तो प्रार्थी ने अवमानना याचिका दायर की। इस बीच सरकार खंडपीठ में चली गई। एकलपीठ के आदेश के खिलाफ सरकार ने खंडपीठ में अपील दायर की थी।
मतदाता सूची का मामला उठाया गया
खंडपीठ से सरकार की अपील याचिका खारिज होने के बाद अवमानना के मामले पर सुनवाई के दौरान सरकार और राज्य चुनाव आयोग की ओर से वोटर लिस्ट का मामला उठाया गया और कहा गया कि केंद्रीय निर्वाचन आयोग की ओर से अपडेट वोटर लिस्ट उपलब्ध नहीं कराया गया है। इस पर केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने कहा कि जिस वोटर लिस्ट से विधानसभा के चुनाव कराए गए हैं, वही अपडेट लिस्ट है और उसी से नगर निकाय के चुनाव कराए जा सकते हैं। इसके बाद सरकार ने कोर्ट को बताया कि चार माह में चुनाव संपन्न करा लिए जाएंगे।





