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हर माह तीन लाख खर्च और सात महीने में मलेरिया के 10 रोगी ही ढूंढ़ पाया मलेरयिा विभाग ने

सात माह में स्वास्थ्य विभाग जिले में महज 10 मलेरिया मरीज ही खोज सका है जबकि सरकार मलेरिया मरीजों की खोज सहित अन्य मद में हर माह लगभग तीन लाख रुपए खर्च करती है। यहीं नहीं पिछले वर्ष विभाग ने जिले में...

हर माह तीन लाख खर्च और सात महीने में मलेरिया के 10 रोगी ही ढूंढ़ पाया मलेरयिा विभाग  ने
हिन्दुस्तान टीम,जामताड़ाFri, 04 Aug 2017 01:51 AM
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सात माह में स्वास्थ्य विभाग जिले में महज 10 मलेरिया मरीज ही खोज सका है जबकि सरकार मलेरिया मरीजों की खोज सहित अन्य मद में हर माह लगभग तीन लाख रुपए खर्च करती है। यहीं नहीं पिछले वर्ष विभाग ने जिले में मलेरिया के कुल 55 मरीजों को चिह्नित किया था। अब इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में मलेरिया विभाग किस तरह काम करता है। बरसात के दिनों में मच्छर-मक्खियों की संख्या में काफी इजाफा हो गया है। इस कारण मलेरिया सहित अन्य मच्छरजनित रोग फैलने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। यहीं नहीं बरसात के मौसम में पिछले वर्ष जिले के पंजनिया, धरमपुर, फोफनाद गांव में मलेरिया फैली थी। फोफनाद में एक व्यक्ति की मौत भी हुई थी। बावजूद जिले में इस वर्ष काफी कम मरीज मिलना विभाग के कार्य पर सवाल खड़ा कर रहा है। मलेरिया विभाग के कर्मचारी कर रहे हैं दूसरे विभाग का काम : सरकार ने मलेरिया विभाग का काम देखने के लिए या लोगों को मलेरिया है अथवा नहीं, इसकी जांच के लिए जिले में आठ एमपीडब्ल्यूकर्मी एवं दो पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। आरोप है कि अधिकांश एमपीडब्ल्यूकर्मी से मलेरिया के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग के अन्य कार्य भी लिए जाते हैं। इससे मलेरिया का कार्य प्रभावित होता है। यहीं नहीं जिले में मलेरिया पर्यवेक्षक के कुल छह पद हैं। परंतु दो ही कार्यरत हैं। इस कारण सही ढंग से कार्य नहीं हो पाता है। जापानी इंसेफेलाइटिस की नहीं होती जांच मलेरिया में सबसे खतरनाक जापानी इंसेफेलाइटिस बुखार को माना जाता है। यह मुख्य रूप से धान खेत में रहने वाले मच्छरों के काटने से होता है। परंतु विभाग द्वारा जिले में इसकी जांच का कोई इंतजाम नहीं किया गया है। इस कारण इस बुखार में खून सैेंपल की जांच धनबाद पीएमसीएच में होती है। हालांकि इस संबंध में विभाग द्वारा यह दलील दी जाती है कि इस बुखार की जांच का लैब सिर्फ मेडिकल कॉलेजों में ही है। मलेरिया विभाग में कर्मचारियों की कमी है। वही जामताड़ा जिले मलेरिया प्रभावित जोन में नहीं आता है। इसलिए अभी तक कम मरीज मिले हैं। जिले में मलेरिया की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग सक्रिय है। -दीपक कुमार गुप्ता, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, स्वास्थ्य विभाग

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