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श्याम को साहित्य अकादमी पुरस्कार से संताल गौरवांवित

संताली साहित्यकार श्याम बेसरा को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलने से पूरा संताल परगना गौरवांवित हुआ है। मूल रूप से गोड्डा के रहने वाले और वर्तमान में जामताड़ा के मिहिजाम के आमबगान निवासी श्याम बेसरा...

श्याम को साहित्य अकादमी पुरस्कार से संताल गौरवांवित
हिन्दुस्तान टीम,जामताड़ाThu, 06 Dec 2018 01:43 AM
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संताली साहित्यकार श्याम बेसरा को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलने से पूरा संताल परगना गौरवांवित हुआ है। मूल रूप से गोड्डा के रहने वाले और वर्तमान में जामताड़ा के मिहिजाम के आमबगान निवासी श्याम बेसरा रेलवे में नौकरी करते हैं। इस समय उनकी नियुक्ति आसनसोल में टीसी पद पर है। नौकरी के साथ वह लीक से हटकर लेखनी भी चलाते हैं। उन्होंने आदिवासियों पर बहुत कुछ लिखा है।

श्याम बेसरा का कहानी संकलन 'दुलाड़ खातिर' सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका में एमए के सिलेबस में शामिल है। संताली भाषा के एमए के कोर्स में आप्शनल पेपर के रूप में इस कहानी संकलन की पढ़ाई होती है। एसकेएमयू के संताली विभाग के अध्यक्ष डॉ सुशील टुडू ने बताया कि श्याम बेसरा के संकलन में सात कहानियां हैं। संताली शब्द दुलाड़ खातिर का हिंदी भावार्थ प्यार के खातिर है। एसपी कॉलेज की प्राचार्य डॉ प्रमोदिनी हांसदा ने बताया कि श्याम बेसरा संताली के वैसे विद्वानों में शामिल हैं, जो देवनागरी, रोमन और ओलचिकी तीनों लिपियों में अपनी रचनाएं लिखते हैं।

उन्होंने सौ से भी अधिक कविता, कहानियां एवं लेख हिंदी एवं संताली में लिखे हैं। एभेन आड़ाड प्रथम संताली मासिक कविता पत्र का वर्षों तक संपादन भी किया। नवंबर 2017 में ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन के विशाखापत्तनम में आयोजित 30वें वार्षिक अधिवेशन में आसाम विधानसभा के स्पीकर पृथ्वी मांझी ने श्याम बेसरा को पुस्तक मारोम संकलन के लिए सम्मानित किया था। यह पुस्तक कोल्हान विश्वविद्यालय के संताली पाठ्यक्रम में शामिल है। उनकी लिखी दुलाड़ खातिर संताली कहानी संकलन 1991, दामिन रेयाक जुडासी संताली कहानी संकलन 2000 में प्रकाशित हुए। ये कहानी सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के संताली पाठ्यक्रम में शामिल है। इसके अलावा दामिन पियो संताली विवाह लोकगीत संकलन 2003 में लिखा।

क्या कहा श्याम बेसरा ने: साहित्यकार श्याम बेसरा को जब साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलने की सूचना मिली तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। संताली भाषा साहित्य के केंद्रीय संयोजक मदन मोहन सोरेन ने दिल्ली से यह सूचना दी है। उन्हें उम्मीद थी कि उपन्यास मारोम को इस स्तर का पुरस्कार जरूर मिलेगा। 35 साल से लेखन का फल मिला है। पुरस्कार पाने वाले उपन्यास मारोम का हिन्दी अर्थ है संताल परगना का विहंगम दृश्य। इस पुस्तक का विमोचन 2016 में हुआ था। श्याम ने बताया कि वह बचपन से ही डॉ डोमन साहू की होड़ संवाद पुस्तक के नियमित पाठक रहे हैं।

क्या खास है श्याम के लेखन में: श्याम बेसरा का जन्म 12 फरवरी 1961 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया स्थित रामकनाली गांव में हुआ था। गोड्‌डा जिला के पोड़ैयाहाट स्थित तांबाजोड़ उनका मूल निवास है। वे चल टिकट निरीक्षक, पूर्व रेलवे आसनसोल में कार्यरत हैं। श्याम बेसरा ने आदिवासियों की जीवन शैली, उत्सव, प्रेम परंपरा आदि का भी चित्रण अपने संकलन में किया है। साथ ही जल, जंगल, जमीन पर भी फोकस किया है।

कई बार मिल चुका है सम्मान : 1992 में डॉ. आंबेडकर फैलोशिप सम्मान मिला। 1997 में भारतीय दलित साहित्यकार अकादमी नई दिल्ली एवं भाषा संगम दुमका ने विशेष हिंदी सेवा के लिए सम्मानित किया। 2014 में राष्ट्रीय शिखर सम्मान समारोह में डीसी देवघर ने सम्मानित किया। 2017 में विश्व आदिवासी दिवस गांधी मैदान जामताड़ा में सम्मान मिला। ऑल इंडिया संताली फिल्म एसोसिएशन के दुमका में आयोजित कार्यक्रम में भी सम्मान दिया गया था। 2017 में ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन ने विशाखापत्तनम में मारोम पुस्तक के लिए सम्मान दिया।

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