ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News झारखंड जमशेदपुरबच्चों को बचाने के लिए हम केरल से क्यों नहीं सीखते

बच्चों को बचाने के लिए हम केरल से क्यों नहीं सीखते

केरल देश का एकमात्र राज्य है, जो शिशु मृत्यु दर (इंफैंट मौर्टिलिटी रेट) रोकने में अमेरिका जैसे विकसित देश की श्रेणी में खड़ा है। केरल में प्रति एक हजार बच्चों के जन्म पर महज 6 की ही मौत होती है, जो...

बच्चों को बचाने के लिए हम केरल से क्यों नहीं सीखते
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरThu, 31 Aug 2017 12:48 PM
ऐप पर पढ़ें

केरल देश का एकमात्र राज्य है, जो शिशु मृत्यु दर (इंफैंट मौर्टिलिटी रेट) रोकने में अमेरिका जैसे विकसित देश की श्रेणी में खड़ा है। केरल में प्रति एक हजार बच्चों के जन्म पर महज 6 की ही मौत होती है, जो अमेरिका के शिशु मृत्यु दर के बराबर है। यहीं नहीं, केरल का शिशु मृत्यु दर रूस, श्रीलंका, ब्राजील से भी बेहतर है। रूस में प्रति हजार 8, चीन में प्रति हजार 9, श्रीलंका में प्रति हजार 8 और ब्राजील में प्रति हजार 15 बच्चों की मौत होती है। जबकि भारत में जन्म लेने वाले प्रति एक हजार नवजात में से लगभग 37 की मौत हो जाती है। वहीं, झारखंड में शिशु मृत्युदर प्रति हजार 36 है। देश में केरल सबसे आगे : नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2016 के मुताबिक केरल के बाद तमिलनाडु इस मामले में दूसरे स्थान पर है। तमिलनाडु में प्रति एक हजार पर महज 12 बच्चों की मौत होती है। इस मामले में हम केरल से सीख सकते हैं। वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था और स्वास्थ्य नीतियों को अपनाया जा सकता है। क्यों है बेहतर स्थिति शिक्षा दर का बेहतर होना संस्थागत प्रसव की बेहतर स्थिति स्वास्थ्य सेवाओं की अच्छी स्थिति गर्भवती महिलाओं के संतुलित भोजन की व्यवस्था आंकड़ों में हकीकत भारत- 37 झारखंड- 36 पूर्वी सिंहभूम - 25 केरल- 6 तमिलनाडु- 12 रूस - 8 चीन- 9 श्रीलंका- 8 ब्राजील- 15 अमेरिका- 6 ( शिशु मृत्यु दर प्रति हजार) शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जॉय भादुड़ी का कहना है कि शिक्षा और जागरूकता का सीधा संबंध शिशु मृत्यु दर से है। केरल में साक्षरता दर ज्यादा है। वहां की महिलाएं खुद व पारिवारिक तौर भी गर्भ ठहरने के साथ ही सचेत हो जाती हैं। भोजन, टीका जैसे महत्वपूर्ण कारकों पर ध्यान देती हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें