जवाहरनगर में सजी मुशायरे की महफिल
खाड़ी देश कतर से आए शायर मकसूद अनवर मकसूद के सम्मान में जवाहरनगर मानगो में मुशायरे हुआ। अध्यक्षता डॉ. नुरुज्जमां खान और संचालन हातिम नवाज ने किया। शहर में जन्मे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर मकसूद...
खाड़ी देश कतर से आए शायर मकसूद अनवर मकसूद के सम्मान में जवाहरनगर मानगो में मुशायरे हुआ। अध्यक्षता डॉ. नुरुज्जमां खान और संचालन हातिम नवाज ने किया। शहर में जन्मे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर मकसूद अनवर मकसूद को शॉल ओढ़ाकर और गुलदस्ता देकर सम्मानित किया गया। मुशायरे का आगाज मंजूर आलम साबरी की रचना से हुई। हातिम नवाज ने ‘मेरे बच्चे सवाल करते हैं भूख का कब जवाब उतरेगा पेश किया। असर भागलपुरी ने ‘मुझसे गर इन्हेराफ करना था, सच को मेरे खिलाफ करना था, अशरफ अली ‘वह बहुत ही अजीज है मेरा, जिस के लब पर मेरी शिकायत है, महशर हबीबी ने ‘पीर व मुर्शिद के बिना जो ये रहे बेदर के पंक्तियों से समां बांधने का प्रयास किया। महताब अनवर ने ‘बा जर्फ कभी खुद को बिखरने नहीं देता, मकसूद अनवर मकसूद ने ‘तेरा मकसूद अलग अपनी दिशा मांगता है, डॉ. नुरुज्जमां खान ने ‘ऐसी इबादतें ही क्या जिनमें न हो कोई मजा, आप न हो जो रूबरू लुत्फ नहीं नमाज में की प्रस्तुति दी।