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अनोखी जनसुनवाई, बिजली दर बढ़ाने नहीं, घटाने का दिया प्रस्ताव

टाटा पावर कंपनी लिमिटेड (टीपीसीएल) की बिजली दर बढ़ाने-घटाने को लेकर मंगलवार को गोलमुरी...

अनोखी जनसुनवाई, बिजली दर बढ़ाने नहीं, घटाने का दिया प्रस्ताव
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरThu, 25 Aug 2022 02:00 AM
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टाटा पावर कंपनी लिमिटेड (टीपीसीएल) की बिजली दर बढ़ाने-घटाने को लेकर मंगलवार को गोलमुरी क्लब में राज्य विद्युत नियामक आयोग की ओर से जनसुनवाई हुई। टीपीसीएल, टाटा स्टील को बिजली सप्लाई करती है। कंपनी ने वर्तमान दर 2.80 पैसे प्रति यूनिट की जगह 2.75 पैसे प्रति यूनिट का प्रस्ताव नियामक आयोग को दिया है। यानी 5 पैसे प्रति यूनिट बिजली दर घटाने का प्रस्ताव कंपनी ने तैयार किया है।

ऐसा पहली बार हुआ है कि जब किसी कंपनी ने रेट बढ़ाने के बजाय घटाने का प्रस्ताव आयोग को दिया हो। टीपीसीएल की दो यूनिट जमशेदपुर में काम करती है, जिससे उत्पादन होने वाली 240 मेगावाट बिजली टाटा स्टील को सप्लाई होती है। टाटा स्टील कुछ बिजली को अपने यूनिट में लगाती है, जबकि कुछ जुस्को को देती है। इस जनसुनवाई की सबसे अनोखी बात यह रही कि मात्र एक उपभोक्ता ने आयोग के समक्ष अपनी आपत्ति रखी। विद्युत नियामक आयोग के सदस्य (तकनीकी) अतुल कुमार और सदस्य (लीगल) महेंद्र प्रसाद जनसुनवाई की, जिसमें मात्र एक उपभोक्ता राजेश कुमार के पक्ष को सुना और उसपर कंपनी के अधिकारी पंकज प्रकाश ने जवाब दिया। जनसुनवाई में मात्र एक उपभोक्ता के आने पर आयोग के सदस्य (लीगल) महेंद्र प्रसाद ने कहा कि मात्र एक आपत्ति रखी गई। जनसुनवाई में और भी लोगों को शामिल किया जाना चाहिए। खासकर वैसे लोग जो रेट बढ़ाने-घटाने से किसी न किसी रूप में प्रभावित होते हैं। सदस्य अतुल कुमार ने कहा कि किसी को आपत्ति है तो एक सप्ताह के भीतर आयोग को अपनी आपत्ति से अवगत करा दे। इसके बाद 30 से 45 दिन के भीतर आयोग निर्णय सुनाएगा। जनसुनवाई में टाटा पावर कंपनी लिमिटेड की ओर से पंकज प्रकाश ने वर्ष 2019-20 का ट्रू अप, वर्ष 2021 का एआरपी कंट्रोल पीरियड 2021-22 से 2025-26 तक बिजनेस प्लान और मल्टी इयर टैरिफ बिंदुवार आयोग के समक्ष रखा।

जनसुनवाई में इकलौते उपभोक्ता ने उठाए कई मुद्दे

उपभोक्ता राजेश कुमार ने कंपनी के एफजीडी छूट का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि हर वर्ष कंपनी स्वीच बोर्ड को रिप्लेस करती है। जबकि वह गारंटी पीरियड में रहता है। इस ओर आयोग को ध्यान देना चाहिए। एस डिस्पोजल के लिए कंपनी खर्च करती है, फिर भी अक्सर इसको लेकर विवाद होता रहता है। आयोग प्रदूषण डिपार्टमेंट से भी इसकी जानकारी ले। वाटर और लैंड चार्ज का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है, फिर भी उसे कंपनी के अधिकारी ने जनसुनवाई में उठाया। टाटा पावर कंपनी एक प्रोफेशनल कंपनी है। एक तरफ बताया जा रहा है कि कंपनी घाटे में है, जबकि दूसरी ओर से टाटा स्टील की ओर से इसे लाभकारी बताया जा रहा है। यह विरोधाभास है।

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