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जीएसटी रिटर्न में राहत के साथ बढ़ी व्यवसायियों की परेशानी

जमशेदपुर सहित देश के व्यवसायियों को गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के तहत रिटर्न दाखिल करने में केंद्र सरकार ने थोड़ी राहत दी है, लेकिन उन्हें अब नई परेशानी भी झेलनी होगी। जीएसटी के तहत...

जीएसटी रिटर्न में राहत के साथ बढ़ी व्यवसायियों की परेशानी
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरWed, 13 Sep 2017 03:45 PM
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जमशेदपुर सहित देश के व्यवसायियों को गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के तहत रिटर्न दाखिल करने में केंद्र सरकार ने थोड़ी राहत दी है, लेकिन उन्हें अब नई परेशानी भी झेलनी होगी। जीएसटी के तहत व्यवसायियों को जीएसटीआर-1 रिटर्न को प्रत्येक माह की 10 तारीख तक, जीएसटीआर-2 को 15 और जीएसटीआर-3 को प्रत्येक माह की 20 तारीख तक दाखिल करना होगा। लेकिन जीएसटी नेटवर्क में आई परेशानी के कारण केंद्र सरकार ने इसकी समय सीमा बढ़ा दी है। जुलाई का रिटर्न भरने की तिथि 10 अगस्त से बढ़ाकर 10 अक्तूबर तक, 15 तक भरे जाने वाले रिटर्न की तिथि 31 अक्तूबर तक और जीएसटीआर-3 रिटर्न की तिथि 10 नवंबर तक कर दी गई है। सबसे बड़ी परेशानी यह है कि व्यवसायियों को इसके साथ 3 बी रिटर्न हर महीने की 20 तारिख तक दाखिल करना अनिवार्य होगा। सरकार बताएगी कि कब करना है रिटर्न दाखिल : व्यवसायियों को अगस्त से दिसंबर तक इन माह का रिटर्न कब दाखिल करना होगा? इसके लिए केंद्र सरकार बाद में अधिसूचना जारी करेगी। संशोधन का नहीं है प्रावधान : व्यवसायियों को सबसे बड़ी परेशानी यह है कि वे जो रिटर्न दाखिल कर रहे हैं, सबमिट के बाद उसमें संशोधन संभव नहीं हो सकता। इसलिए सभी व्यवसायी 3 बी का रिटर्न दाखिल करने से पहले अपनी सभी खरीद-बिक्री का पूर्ण ब्योरा जांच कर भरें या अपने चार्टर्ड एकाउंटेट/कंसल्टेंट को दिखाकर भरें। मासिक टैक्स रिटर्न के खिलाफ उठानी होगी आवाज चार्टर्ड एकाउंटेंट पवन पेरिवाल का कहना है कि केंद्र सरकार ने मासिक रिटर्न की जो व्यवस्था बनाई है, उसके खिलाफ सभी व्यवसायियों को आवाज उठानी होगी नहीं तो वह दिन दूर नहीं, जब केंद्र सरकार उन पर दैनिक रिटर्न का बोझ डाल देगी। इसलिए व्यवसायी अपनी आवाज प्रधानमंत्री तक पहुंचाने की कोशिश करें। छोटे-बड़े व्यवसायियों के लिए एक व्यवस्था पवन पेरिवाल का कहना है कि सालाना 75 लाख कमाने वाला व्यवसायी और 75 हजार करोड़ के टर्नओवर वाले उद्योगपतियों के लिए केंद्र सरकार ने एक ही प्रावधान रखा है। ऐसे में यह सोचना होगा कि छोटे व्यवसायी क्या एक एकाउंटेंट का वेतन, चार्टर्ड एकाउंटेंट या टैक्स विशेषज्ञ की फीस का खर्च उठा पाएंगे। सालाना 25-30 लाख का टर्नओवर वाला कांट्रेक्टर कम्प्लयांस स्कीम के तहत नहीं जा सकता तो उसे प्रति माह रिटर्न दाखिल करना होगा। मासिक रिटर्न ले सरकार : व्यवसायी साकची के व्यवसायी रितेश सेठ का कहना है कि जीएसटी प्रधानमंत्री का सबसे बढ़िया कदम है। लेकिन सरकार को यह भी ख्याल रखना चाहिए कि व्यवसायी अपना व्यापार करें या रिटर्न दाखिल करने के चक्कर में फंसे रहें। पहले व्यवसायी मासिक रिटर्न दाखिल करते थे। केंद्र सरकार जीएसटी के तहत भी ऐसी व्यवस्था शुरू करे। हम टैक्स देने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जीएसटी के तहत रिटर्न दाखिल करने की जो व्यवस्था तैयार हुई है, उससे व्यवसायियों की परेशानी बढ़ गई है।

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