जनधन के तीन साल : आधे खातों में लेनदेन तक नहीं
ग्रामीणों के लिए प्रधानमंत्री जनधन खाता भविष्य का सहारा बन गया है। कई ग्रामीण इससे पूर्व बैंकों में खाते तक नहीं खुलवाए थे। लेकिन, जिला व प्रखंड स्तर पर सरकारी अभियान से सिर्फ जमशेदपुर नहीं बल्कि...
ग्रामीणों के लिए प्रधानमंत्री जनधन खाता भविष्य का सहारा बन गया है। कई ग्रामीण इससे पूर्व बैंकों में खाते तक नहीं खुलवाए थे। लेकिन, जिला व प्रखंड स्तर पर सरकारी अभियान से सिर्फ जमशेदपुर नहीं बल्कि कोल्हान के तीनों जिला में नोटबंदी के पहले सवा दो लाख से अधिक जनधन खाता खुले थे। हालांकि जनधन खातों में अचानक जमा रकम नोटबंदी के दौरान जांच के केंद्र बने। इससे कइयों को पूछताछ से गुजरना पड़ा तो कुछ दिनों तक कई खाते के लेनदेपर प्रतिबंध लगा। लेकिन, अब सब कुछ समान्य है। संपन्न लोगों का भी है जनधन खाता: सरकारी सुविधा के लिए संपन्न लोगों ने भी जनधन खाता खुलवाया है। बैंक अधिकारियों के समक्ष जांच में पहले ही पुष्टि चुकी है। आयकर देनेवालों ने परिजन के नाम से खाते हैं। बैंक रख रही है खाते पर नजर : नोटबंदी के बाद कोल्हान में सैकड़ों जनधन खाते की जांच हुई। संदेह पर दर्जनों जनधन खाते से लेनदेन पर रोक लगा था। अभी स्थिति सामान्य होने पर बैंक अधिकारी हर महीने जनधन खाते में जमा व निकासी की रिपोर्ट बनाते हैं। जीरो बैलेंस पर इंश्योरेंस नहीं: बैंक अधिकारियों के अनुसार जनधन खाते में जीरो रकम के हालात में धारक को इंश्योरेंस का लाभ नहीं मिलेंगे। जिससे लगभग खाताधारक रकम निकालने के साथ जमा करने के प्रति भी जागरूक हैं। आधार लिंक से जोड़ने की पहल: जनधन खाते को आधार लिंक से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू है। बैंक अधिकारी लोगों को आधार लिंक से खाता को जोड़ने का लाभ बताते हैं। विशेषकर ग्रामीण इलाकों के खाताधारक को आधार से जोड़ने में परेशानी होगी।