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विजया गार्डेन से एक साथ उठीं तीन अर्थियां, फफक पड़े लोग

हाथ में पोते का खिलौना लिए दादी बिलख पड़ी- अब केकर जन्मदिन मनाइब रे दादा...। यह कहते ही वह बेहोश हो गई। उसके दांत लग गए। होश आया तो अपने बेटे से सवाल किया... ऐ बबुआ काहे अइसे कइअल रे, इसके बाद वह फिर...

विजया गार्डेन से एक साथ उठीं तीन अर्थियां, फफक पड़े लोग
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरThu, 22 Feb 2018 06:49 AM
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हाथ में पोते का खिलौना लिए दादी बिलख पड़ी- अब केकर जन्मदिन मनाइब रे दादा...। यह कहते ही वह बेहोश हो गई। उसके दांत लग गए। होश आया तो अपने बेटे से सवाल किया... ऐ बबुआ काहे अइसे कइअल रे, इसके बाद वह फिर बेहोश हो गई।

बुधवार को बारीडीह स्थित विजया गार्डेन के सनफ्लावर 21 नम्बर ब्लॉक का यह दृश्य को देखकर सबकी आंखें नम हो गईं। दोपहर लगभग 12 बजे निशांत और उनकी पत्नी-बेटे के शव को टाटा मोटर्स अस्पताल के शीतगृह से फ्लैट लाया गया। तीनों शवों को बारी-बारी से ऊपर ले जाया गया। पहले बहू का शव गया। उसकी अंतिम प्रक्रिया पूरी की गई।

मंगलवार को बारीडीह स्थित विजया गार्डेन अपार्टमेंट के अपने फ्लैट में इंजीनियर निशांत वैभव ने 34 वर्षीय पत्नी पूर्णिमा वैभव और 6 वर्षीय बेटे अक्षत राज उर्फ अक्कीको जहर खिलाकर हत्या करने के बाद फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

अक्की को देख बिलख पड़ी हर मां : एक साथ पति-पत्नी की मौत हुई थी। इस पर हाथ में चूड़ी रहे या न रहे इस पर विचार करने के बाद शव को वैसे ही छोड़ दिया गया। उसके बाद छह वर्षीय अक्षत राज उर्फ अक्की का शव लाया गया। अक्की का शव आते ही महिलाएं रोने लगीं। आवाज पूरे फ्लैट में गूंज गई। दादी के सब्र का बांध टूट गया था। वह अचानक रास्ता दिखाते हुए बोलने लगी। रात में अपनी गाड़ी लेकर आया था। उसे कहा कि यहीं रुक जाओ। रुक जाता तो मेरा चिराग बच जाता। उसके बाद दादी ने उसके खिलौने को उठा लिया और पोते के शव के पास जाकर बेहोश हो गई। यही स्थिति अक्षत की नानी की भी थी। वह अपनी बेटी यानी अक्षत की मां पूर्णिमा को बार- बार उठाने की कोशिश कर रही थी। अंत में निशांत का शव लाया गया। निशांत की मां ने शव से पूछा कि ऐसा क्यों किया। फिर प्यार से उस पर हाथ फेरा। जिस कपड़े में तीनों शवों को पोस्टमार्टम हाउस से लाया गया था, उसी में लिपटे रहने दिया गया। सिर्फ स्ट्रेचर से अर्थी में शव को रखा गया। दोपहर लगभग पौने एक बजे अंतिम यात्रा निकली और स्वर्णरेखा बर्निंग घाट पर तीनों का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

एनके सिंह ने बहू, बेटे और पोते को दी मुखाग्नि : तीनों को मुखाग्नि निशांत के पिता एनके सिंह ने दी। उन्हें कहा गया कि बहू को या तो उसका पति या भाई मुखाग्नि देता है। लेकिन उन्होंने कहा कि बच्चे उनके हैं, इसलिए वहीं मुखाग्नि देंगे। तीनों का शव इलेक्ट्रिक शव दाहगृह में ले जाया गया। पहले निशांत फिर पूर्णिमा और अंत में अक्षत राज के शव का दाह संस्कार हुआ।

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