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कुछ काम नहीं करने वाले उद्योगों की जमीन वापस होगी

पूर्वी सिंहभूम में पिछली सरकार के समय 15 उद्योगों को झारखंड ओद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (जियाडा) माध्यम से जमीन आवंटित की गई थी, पर उनमें से...

कुछ काम नहीं करने वाले उद्योगों की जमीन वापस होगी
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरMon, 26 Jul 2021 05:31 PM
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पूर्वी सिंहभूम में पिछली सरकार के समय 15 उद्योगों को झारखंड ओद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (जियाडा) माध्यम से जमीन आवंटित की गई थी, पर उनमें से मात्र दो-तीन ने ही उत्पादन शुरू किया है, जबकि एक प्लांट लगभग पूरा होने वाला है। शेष ने अबतक काम शुरू नहीं किया है। इस मामले में जियाडा और उद्योग विभाग ने काम शुरू नहीं करने वाले सभी उद्यमियों को पहला नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जबकि दूसरा नोटिस शीघ्र उन्हें भेजा जाने वाला है। इसमें उन्हें चेतावनी दी जाएगी कि क्यों न आवंटित जमीन वापस ले ली जाए।

जियाडा के प्रतिनिधि ने यह जानकारी विधानसभा की प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति को दी। समिति जिले के दौरे पर रविवार को ही पहुंची है। सभापति रामदास सोरेन के नेतृत्व वाली समिति मुसाबनी प्रखंड के मुर्गाघुटू स्थित एक प्लांट, आदि दुर्गा प्रालि का दौरा किया। इसके बाद जियाडा सहित अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ सर्किट हाउस में बैठक करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रही थी। सोरेन ने बताया कि आदि दुर्गा प्लांट पूरा होने वाला है। हालांकि पूर्व में कहा गया था कि मार्च में ही उत्पादन शुरू हो जाएगा। परंतु अब लगता है कि जल्द शुरू होगा। बिजली का कनेक्शन बचा हुआ है।

अब ग्रामीण क्षेत्र में भी हो रही गेहूं की आपूर्ति

विधायक संजीव सरदार ने मांग की थी कि ग्रामीण क्षेत्रों में चावल के साथ-साथ गेहूं की भी आपूर्ति की जाए। एसओआर ने बताया कि उनकी मांग पूरी कर दी गई है। 60 प्रतिशत चावल व 40 प्रतिशत गेहूं की आपूर्ति मई माह से ही की जा रही है।

15 दिन बाद जमीन अधिग्रहण पर होगी विस में बैठक

समिति 15 दिनों के बाद विधान सभा में जिन रैयतों की जमीन अधिग्रहीत हुई है उनके, जिन्हें दी गई है उनके और उद्योग विभाग एवं जियाडा के अधिकारियों के साथ बैठक करेगी। उसमें उद्यमियों से यह लिखित आश्वासन लिया जाएगा कि अगर वे जमीन पर काम शुरू नहीं करेंगे तो उनकी जमीन वापस ले ली जाएगी।

एचसीएल की खाली जमीन का भी मामला उठा

बैठक में एचसीएल की खाली पड़ी जमीन का भी मामला उठा। उस जमीन पर अभी भी रैयत खेती कर रहे हैं। प्रशासन के बलपूर्वक दीवार दे देने के बाद भी खेती करना नहीं छोड़ा है। यही नहीं, वे जमीन की लगान भी कटा रहे हैं। यह मामला 1971-72 का है जब एचसीएल ने यह जमीन इन रैयतों से अधिग्रहीत की थी। कुछ मुआवजा भी दिया था। तय हुआ है कि इस मामले में भी खाली जमीन का आवंटन रद्द करने अथवा इस्तेमाल शुरू करने के लिए एचसीएल को कहा जाएगा।

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