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टाटा स्टील : इंश्योरेंस पर सहमति बनाने की तैयारी

टाटा स्टील के ग्रेड रिवीजन वार्ता से कर्मचारियों के बीच एक उम्मीद भरी खबर है। टाटा वर्कर्स यूनियन लीव बैंक पर प्रबंधन को सहमत करने के बाद कर्मचारियों के लिए इंश्योरेंस (बीमा) के मुद्दे पर बात करने पर...

टाटा स्टील : इंश्योरेंस पर सहमति बनाने की तैयारी
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरFri, 10 May 2019 01:39 AM
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टाटा स्टील के ग्रेड रिवीजन वार्ता से कर्मचारियों के बीच एक उम्मीद भरी खबर है। टाटा वर्कर्स यूनियन लीव बैंक पर प्रबंधन को सहमत करने के बाद कर्मचारियों के लिए इंश्योरेंस (बीमा) के मुद्दे पर बात करने पर राजी करा लिया है और इस मुद्दे पर वार्ता करने जा रही है। इस मुद्दे पर यूनियन के शीर्ष रणनीतिकारों के बीच भी लगभग सहमति बन गयी है। इसमें अवधि, एमजीबी व डीए जैसे मुद्दे पर फंसी वार्ता को तत्काल अलग कर कर्मचारी हितों के लिए दूसरे मुद्दों पर बात करना और उसे मुकाम तक पहुंचाना है। यूनियन ने टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखन के समक्ष यह मांग रखी है। दावा किया जा रहा है कि समूह अपने सभी कर्मचारियों के लिए बड़ी योजना पर विचार कर रहा है। इस बीच ग्रेड रिवीजन के वार्ता में इंश्योरेंस का मुद्दा उठाकर कर्मचारियों के लिए यूनियन अपनी मांग को गति देना चाहती है। यूनियन ने कंपनी प्रबंधन को सौंपे गये अपने चार्टर ऑफ डिमांड में कर्मचारियों के लिए बीमा की मांग को शामिल किया है। लीव बैंक के प्रस्ताव पर सैद्धान्तिक सहमति के बाद बीमा और अपने घर के लिए ऋण की राशि में बढ़ोत्तरी जैसे कर्मचारी हितों के सामूहिक निर्णय पर यूनियन ध्यान केंद्रित करना चाहती है।टाटा स्टील में ग्रेड पर बारह चरण की वार्ता पूरी: उल्लेखनीय है कि टाटा स्टील में ग्रेड रिवीजन पर बारह चरण की वार्ता पूरी हो चुकी है। इसमें लीव बैंक को छोड़कर अब तक किसी भी अहम मुद्दे पर कोई सार्थक जानकारी यूनियन की तरफ से साझा नहीं की गयी है। ग्रेड की वार्ता को लेकर साढ़े तेरह हजार कर्मचारियों में जिज्ञासा बनी हुई है। यूनियन के कमेटी मेंबरों को हर दिन विभाग में वेज से जुड़े सवालों का सामना करना पड़ रहा है। टॉप थ्री को छोड़कर यूनियन के दूसरे पदाधिकारियों को भी इस बारे में आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गयी है।कर्मचारी एमजीबी में कटौती व अवधि बढ़ाने के लिए तैयार नहीं: टाटा स्टील प्रबंधन व यूनियन के बीच वार्ता के निर्णायक मुद्दों पर अब तक कोई सहमति नहीं बनी है। कर्मचारी एमजीबी में कटौती व अवधि बढ़ाने के लिए तैयार नहीं है। कर्मचारियों को लगता है कि इन दोनों परिस्थितियों में कर्मचारियों को बड़ा नुकसान हो सकता है। डीए को लेकर भी कर्मचारी किसी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं है। जबकि प्रबंधन बेसिक में डीए के मर्जर को तैयार नहीं है। ग्रेड रिवीजन के समझौते की वर्तमान छह वर्ष की अवधि को भी बढ़ाने के लिए दवाब बनाए हुए है। जबकि वर्तमान कमेटी मेंबरों के दल ने इस बारे में यूनियन के पदाधिकारियों से मिलकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है और कहा है कि 20 फीसदी से कम एमजीबी किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।

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