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बुद्ध पूर्णिमा पर विशेष : झारखंड मुख्यालय में भी उपेक्षित हैं बौद्ध धर्मावलंबी

आजादी के बाद से शहर में बौद्ध धर्मावलंबी रहते आ रहे हैं। बोधि सोसाइटी की स्थापना 1956 में की गई। दस वर्षों के बाद बौद्ध मंदिर का निर्माण हुआ। सात दशक गुजरने के बाद भी बौद्ध धर्मावलंबी खुद को उपेक्षित...

बुद्ध पूर्णिमा पर विशेष : झारखंड मुख्यालय में भी उपेक्षित हैं बौद्ध धर्मावलंबी
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरSat, 18 May 2019 07:52 PM
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आजादी के बाद से शहर में बौद्ध धर्मावलंबी रहते आ रहे हैं। बोधि सोसाइटी की स्थापना 1956 में की गई। दस वर्षों के बाद बौद्ध मंदिर का निर्माण हुआ। सात दशक गुजरने के बाद भी बौद्ध धर्मावलंबी खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।अल्पसंख्यक आयोग में जगह नहीं: बोधि सोसाइटी के उपाध्यक्ष सह प्रवक्ता प्रकाश बरूआ ने बताया कि संपूर्ण अल्पसंख्यक बौद्ध धर्मावलंबी झारखंड में उपेक्षा का शिकार हैं। प्रदेश का बौद्ध मुख्यालय जमशेदपुर में है। फिर भी अल्पसंख्यक आयोग में किसी बौद्ध धर्मावलंबी को प्रतिनिधि नहीं बनाया गया। जबकि दूसरे समुदाय के एक से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हैं। सड़क का नाम गौतम बुद्ध मार्ग हो: सोसाइटी के महासचिव प्रदीप बरूआ ने बताया कि मंदिर निर्माण में बौद्ध धर्मावलंबियों का विशेष योगदान रहा है। स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान के चटगांव से आए बौद्ध धर्मावलंबियों ने भारत की नागरिकता ली। जिस ‘ह्यूमपाइप रोड में बौद्ध मंदिर स्थापित है, उसका नामकरण गौतम बुद्ध मार्ग हो।

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