Shri Shiv Mahapurana Katha Week Begins with Spiritual Insights and Blessings रुद्राक्ष धारण करने से बनी रहती है देवताओं की कृपा : बृजनंदन शास्त्री, Jamshedpur Hindi News - Hindustan
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रुद्राक्ष धारण करने से बनी रहती है देवताओं की कृपा : बृजनंदन शास्त्री

एनएच-33 पर वसुंधरा एस्टेट में श्री शिव महापुराण कथा सप्ताह का आयोजन हुआ। पहले दिन स्वामी बृजनंदन शास्त्री ने शिव महापुराण की व्याख्या की और भस्म, रुद्राक्ष, तथा प्रदोष व्रत का महत्व बताया। कथा में...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरFri, 27 Dec 2024 05:38 PM
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रुद्राक्ष धारण करने से बनी रहती है देवताओं की कृपा : बृजनंदन शास्त्री

एनएच-33 स्थित वसुंधरा एस्टेट में श्री शिव महापुराण कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के पहले दिन गुरुवार को वृन्दावन से पधारे स्वामी बृजनंदन शास्त्री महाराज ने व्यास पीठ से शिव महापुराण, शोभायात्रा, रुद्राक्ष, भस्म महिमा के प्रसंग का व्याख्यान किया। कथा के दौरान कलाकारों ने जीवंत झांकी भी प्रस्तुत की। शास्त्री जी ने शिव कथा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भस्म, रुद्राक्ष धारण कर नमः शिवाय मंत्र का जप करने वाला मनुष्य शिव रूपी हो जाता है। भस्म रुद्राक्षधारी मनुष्य को देखकर भूत-प्रेत भाग जाते हैं। देवता पास में दौड़ आते हैं। उसके यहां लक्ष्मी और सरस्वती दोनों स्थायी रूप से निवास करती हैं। विष्णु आदि सभी देवता प्रसन्न होते हैं। जब भगवान शिव ने मानव जाति के कष्ट और पुनर्जन्म के चक्र को देखा तो उनका हृदय करुणा से भर गया। उनकी आंखों से आंसू बहने लगे और जहां-जहां ये आंसू गिरे, वहां रुद्राक्ष वृक्ष उत्पन्न हुए। शिवजी सदैव मृग चर्म (हिरण की खाल) धारण किए रहते हैं और शरीर पर भस्म (राख) लगाए रहते हैं। शिवजी का प्रमुख वस्त्र भस्म यानी राख है, क्योंकि उनका पूरा शरीर भस्म से ढंका रहता है। शिवपुराण के अनुसार, भस्म सृष्टि का सार है। एक दिन संपूर्ण सृष्टि इसी राख के रूप में परिवर्तित हो जानी है। कथावाचक ने बताया कि शिव को अर्द्धनारीश्वर भी कहा गया है, इसका अर्थ यह नहीं है कि शिव आधे पुरुष ही हैं या उनमें संपूर्णता नहीं। दरअसल, यह शिव ही हैं, जो आधे होते हुए भी पूरे हैं। इस सृष्टि के आधार और रचयिता यानी स्त्री-पुरुष शिव और शक्ति के ही स्वरूप हैं। इनके मिलन और सृजन से यह संसार संचालित और संतुलित है। दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं।

प्रदोष व्रत करने से प्रसन्न होते हैं भगवान शिव

महाराज ने प्रदोष व्रत का वर्णन करते हुए कहा कि प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा का काफी महत्व है। शास्त्रों में प्रदोष की बड़ी महिमा बताई गई है। इस व्रत को श्रद्धापूर्वक जो भक्त करता है, उसको जन्म-जन्मांतर के पाप कर्मों से छुटकारा मिल जाता है। महीने में दो बार आने वाले प्रदोष व्रत भगवान भोलेनाथ को समर्पित है और इस दिन संध्याकाल में इनकी आराधना से शिव प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं। आयोजक किरण-उमाशंकर शर्मा हैं। प्रथम दिन समाजसेवी मनमोहन खंडेलवाल, अजय श्रीवास्तव, सुनील सेठ, शशांक श्रीवास्तव, धीर दत्ता आदि ने कथा में शामिल होकर आशीर्वाद लिया। आज के कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रमुख रूप से कृपाशंकर शर्मा, रामाशंकर शर्मा, गिरजाशंकर शर्मा, भाजपा जिला कोषाध्यक्ष कृष्णा शर्मा उर्फ काली शर्मा, संतोष शर्मा समेत काफी संख्या में भक्त शामिल थे, जिसमें महिलाओं की संख्या अधिक थी।

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