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सूचनाधिकार : साधारण व्यक्ति भी सरकार से पूछ सकता है सवाल : पाणि

सूचनाधिकार का महत्व और लोकतंत्र में इसकी भूमिका पर आरटीआई दिवस पर सेमिनार आयोजित किया गया। नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीके पाणि ने बताया कि सूचनाधिकार नागरिकों को सशक्त बनाता है और...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरMon, 13 Oct 2025 06:09 PM
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सूचनाधिकार : साधारण व्यक्ति भी सरकार से पूछ सकता है सवाल : पाणि

सूचनाधिकार वह शक्ति है, जिसकी बदौलत एक साधारण व्यक्ति भी सरकार से सवाल पूछ सकता है। यह नागरिक को सशक्त जबकि सरकार एवं प्रशासन को जवाबदेह बनाता है। उन्होंने ये बातें आरटीआई दिवस पर एमएनपीएस सभागार में रविवार को आयोजित राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार में नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीके पाणि ने कहीं। इसका आयोजन आरटीआई कार्यकर्ता संघ और झारखंड ह्यूमन राइट एसोसिएशन की ओर से संयुक्त रूप से किया गया था। नागरिकों को सशक्त बनाना, जवाबदेही को बढ़ावा देना, पारदर्शिता लाना एवं सूचना का अधिकार और पारदर्शिता लोकतंत्र की नींव है, विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए डॉ. पाणि ने कहा कि सूचनाधिकार कानून की नींव 1976 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर राजनारायण बनाम सरकार मुकदमा में ही पड़ गई थी।

अगर समय सीमा में जवाब नहीं दिया जाए तो संबंधित अधिकारी को जुर्माना भी हो सकता है। उन्होंने बताया कि जो सूचना संसद में दी जा सकती है, वह सूचनाधिकार के दायरे में आती है। स्वीडन ने 1766 में बनाया था सूचनाधिकार कानून विशिष्ट अतिथि और मुख्य वक्ता दिल्ली से पहुंचे अधिवक्ता हवा सिंह तंवर ने बताया कि स्वीडन पहला देश है, जिसने 1766 में सूचनाधिकार कानून बनाया। उन्होंने कहा कि सूचनाधिकार को कभी व्यक्तिगत नहीं बनाना चाहिए। यह गलत कार्य के खिलाफ प्रशासन पर दबाव बनाने का हथियार है, न कि सरकार पर। सरकारें आती-जाती रहतीं हैं, प्रशासन स्थायी होता है। साथ ही उन्होंने सूचनाधिकार का राजनीतिक लाभ नहीं लेने की भी सलाह दी। उन्होंने बताया कि अधिकारों की पहली लड़ाई महाभारत के रूप में प्रसिद्ध है। शिक्षक भी कक्षा में देर से पहुंचे तो भ्रष्टाचार : डॉ. दत्ता विशिष्ट अतिथि और पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधि डॉ. चंद्रशेखर दत्ता ने कहा कि अगर शिक्षक भी कक्षा में देर से पहुंचे और पहले निकल जाए तो यह बच्चों के साथ भ्रष्टाचार है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक को आरटीआई का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि यह भ्रष्टाचार को रोकने का सशक्त हथियार है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान में सरकारें इसके प्रति गंभीर नहीं हैं। बहुत सारे राज्यों में सूचना आयोग को शिथिल किया जा रहा है। सेमिनार को एमबीएम कालेज के प्राचार्य डॉ. बिजय कुमार पीयूष, मनोज सिंह, धनंजय शुक्ला, डीपी शुक्ला, आरके शर्मा और छेदी कुमार ने संबोधित किया। सम्मानित अतिथि के रूप में जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अमर सिंह और एलबीएसएम कालेज के प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार झा, सिंहभूम कालेज चांडिल के प्राचार्य डॉ. सरोज कैवर्त उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता आरटीआई कार्यकर्ता संघ के केन्द्रीय अध्यक्ष दिल बहादुर ने की, जबकि स्वागत उपाध्यक्ष पूर्वी घोष के किया। इससे पूर्व संघ का वार्षिक प्रतिवेदन केन्द्रीय महासचिव कृतिवास मंडल जबकि एसोसिएशन का प्रतिवेतन अध्यक्ष दिनेश कुमार किनू ने प्रस्तुत किया।