Protest Erupts Against Forest Department in Dalma Area Over Land Rights जमीन खाली करने के नोटिस पर उबाल, दलमा क्षेत्र के ग्रामीणों ने किया विरोध प्रदर्शन, Jamshedpur Hindi News - Hindustan
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जमीन खाली करने के नोटिस पर उबाल, दलमा क्षेत्र के ग्रामीणों ने किया विरोध प्रदर्शन

पटमदा प्रखंड के बोंटा पंचायत के ग्रामीणों ने जमीन खाली करने के नोटिस के खिलाफ दलमा क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि आदिवासी समुदायों को उनके पुश्तैनी जमीन से बेदखल...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरWed, 2 July 2025 05:16 PM
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जमीन खाली करने के नोटिस पर उबाल, दलमा क्षेत्र के ग्रामीणों ने किया विरोध प्रदर्शन

पटमदा प्रखंड के बोंटा पंचायत क्षेत्र के ग्रामीणों को जमीन खाली करने का नोटिस मिलने के बाद दलमा क्षेत्र में वन विभाग के खिलाफ आक्रोश भड़क उठा है। मंगलवार को दलमा क्षेत्र ग्राम सभा सुरक्षा मंच (कोल्हान) के नेतृत्व में जमशेदपुर स्थित उपायुक्त कार्यालय के समक्ष एक विशाल जनविरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि दलमा क्षेत्र को इको-सेंसिटिव ज़ोन घोषित करने के बहाने आदिवासी और अन्य परंपरागत वनवासी समुदायों को उनकी पुश्तैनी जमीन से बेदखल करने की साजिश की जा रही है। उनका कहना था कि वनाधिकार कानून को दरकिनार कर, लोगों के घरों को उजाड़ने की प्रक्रिया चलाई जा रही है।

इस विरोध प्रदर्शन में पटमदा, चांडिल, बोंटा, डिमना, पारडीह, गालूडीह, घाटशिला और मुसाबनी सहित कोल्हान के सैकड़ों गांवों से लोग शामिल हुए। आमबगान मैदान में एकत्र हुए हजारों ग्रामीणों ने उपायुक्त कार्यालय तक पैदल मार्च किया। इस मार्च में महिलाओं की विशेष भागीदारी रही, जिन्होंने बैनर-तख्तियों के साथ नारेबाजी की। ग्रामीणों का कहना था कि उन्हें वन पट्टा के लिए आवेदन करने पर बार-बार दौड़ाया जाता है, लेकिन अधिकार नहीं दिए जाते। वहीं जिन जमीनों पर वे पीढ़ियों से रह रहे हैं, उन्हीं से कागजात मांगे जा रहे हैं। ग्रामीण सुखलाल पहाड़िया ने भावुक होकर कहा कि हम इसी जंगल में जन्मे हैं, हमारे पूर्वज यहीं रहे हैं। यह केवल जमीन का नहीं, हमारे अस्तित्व और पहचान का सवाल है। प्रदर्शन के बाद एक प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त से मुलाकात की। उपायुक्त ने उन्हें आश्वस्त किया कि बारिश के मौसम में किसी का घर उजाड़ा नहीं जाएगा और वे वन विभाग से बात कर समाधान निकालेंगे। प्रतिनिधिमंडल ने यह भी मांग रखी कि रांची स्थित इको-सेंसिटिव जोन के प्रमुख अधिकारियों से पूछा जाए कि क्या इस क्षेत्र में वन अधिकार कानून के तहत पट्टा देना संभव है या नहीं। साथ ही खड़िया, पहाड़िया, बिरहोर, सबर जैसे परंपरागत आदिवासी समुदायों को उजाड़े जाने पर गंभीर आपत्ति जताई गई। उपायुक्त ने कहा कि वन विभाग के अधिकारियों से मिलकर ठोस हल निकालने की दिशा में कार्य होगा। ये हुए शामिल सुखलाल पहाड़िया, बबिता कच्छप, प्रसुन भील, राधेश्याम सिंह मुंडा, रविंद्र सिंह सरदार, डेमका सोय, कृष्णा लोहार, दीपक रंजीत, अजीत तिर्की, दिनकर कच्छप, सूर्यनारायण मुर्मू, जागरण पाल, काकुली महतो, हरमोहन महतो, सुनील हेम्ब्रम, कमल पहाड़िया, रवि पहाड़िया, मंटू पहाड़िया, जयनाथ भूमिज सहित दर्जनों कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।

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