ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News झारखंड जमशेदपुरजमशेदपुर, बहरागोड़ा और सरायकेला आए थे प्रणब दा

जमशेदपुर, बहरागोड़ा और सरायकेला आए थे प्रणब दा

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की यादें झारखंड या कहें अविभाजित बिहार से जुड़ीं हुईं थीं। कई बार तो अपने घर जाने के क्रम में वे जमशेदपुर आ गए...

जमशेदपुर, बहरागोड़ा और सरायकेला आए थे प्रणब दा
हिन्दुस्तान टीम,जमशेदपुरTue, 01 Sep 2020 06:55 PM
ऐप पर पढ़ें

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की यादें झारखंड या कहें अविभाजित बिहार से जुड़ीं हुईं थीं। कई बार तो अपने घर जाने के क्रम में वे जमशेदपुर आ गए थे।

उन्होंने पूर्व सांसद गोपेश्वर के लिए 1984 में चुनाव प्रचार भी किया था। तब वे देश के वित्त मंत्री हुआ करते थे। तिलक पुस्तकालय में उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था, जबकि टेल्को गेस्ट हाउस में रात्रि प्रवास। तब जिला कांग्रेस के अध्यक्ष केपी सिंह हुआ करते थे।

बहरागोड़ा डाकबंगला में की थी बैठक

आठवें दशक में ही उन्होंने एक बार बहरागोड़ा का दौरा किया था। तब वहां के जिला परिषद के डाकबंगला में उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की थी। उस बैठक में चंदन बागची, पूर्व विधायक विषणुपदो घोष, एसआर रिजवी छब्बन, पूर्व मंत्री डॉ. करनचंद्र मार्डी, जगदीश नारायण चौबे, गया किशोर श्यामल, चंदू मिश्रा आदि नेता शामिल हुए थे।

सांगठनिक विवाद आते ही सुलझ जाता था

पार्टी के पुराने नेताओं में से एक जगदीश नारायण चौबे बताते हैं कि हम सभी उन्हें प्यार से प्रणब दा कहते थे। उनके व्यक्तित्व का असर था कि अगर कोई सांगठनिक विवाद रहा तो उनके आते ही खत्म हो जाता था। उनके सामने किसी को कुछ कहने ही जरूरत ही नहीं पड़ती थी। ऐसा जादुई व्यक्तित्व था उनका। हालांकि कपितय कारणों से ममता बनर्जी उनसे नाराज रहतीं थीं।

दादा के चहेते थे चंदन बागची

सरायकेला निवासी स्व. चंदन बागची प्रणब दा के चहेते नेता माने जाते थे। माना जाता है कि उन्हीं की वजह से उन्होंने पहले बिहार प्रदेश कांग्रेस के युवा मोर्चा के अध्यक्ष, फिर बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष, एमएलसी और मंत्री पद पाया था। प्रणब दा एक बार उनके घर भी आए थे। तब उनका हेलीकॉप्टर चाईबासा में उतरा था और चंदन बागची की मां से मिलकर अपने घर पश्चिम बंगाल गए थे। दादा तब केन्द्र में मंत्री थे, जबकि बागची युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष। वैसे उनके चहेते नेताओं में स्व. बागुन सुम्ब्रुई, घाटशिला निवासी स्व. रंजीत बोस और एसआर रिजवी छब्बन भी बताए जाते हैं। छब्बन का भाषण उन्हें खूब पसंद था।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें