पुराने राशन कार्ड के कारण एमजीएम में मुफ्त जांच से वंचित हो रहे गरीब मरीज
एमजीएम अस्पताल में गरीब मरीजों को पुराने राशन कार्ड के कारण मुफ्त जांच नहीं मिल रही है। कंप्यूटर से निकले कार्ड पर हस्ताक्षर की अनिवार्यता के कारण मरीजों को लौटना पड़ता है। कार्यपालक दंडाधिकारी ने कहा...

एमजीएम अस्पताल की ओपीडी या इमरजेंसी में पुराने राशन कार्ड के कारण गरीब मरीजों को मुफ्त जांच की सुविधा नहीं मिल पा रही है। कंप्यूटरीकृत एवं अहस्ताक्षरित कार्ड होने के कारण वे मुफ्त जांच की सुविधा से वंचित हो रहे हैं। दरअसल, अपडेट राशन कार्ड के आधार पर ही मरीजों को अस्पताल में मुफ्त जांच की सुविधा दी जाती है। उपाधीक्षक कार्यालय से रोजाना दर्जनों मरीजों को वापस कर दिया जाता है। हर रोज 100 से 150 मरीज नि:शुल्क जांच की अनुमति लेने जांचे हैं। ऐसे में गरीब मरीज जांच नहीं करा पाते हैं। जमापूंजी निकालकर बाहर से जांच करवानी पड़ती है। अस्पताल के सरकारी जांच केंद्र में नि:शुल्क जांच की व्यवस्था है। यहां जिन बीमारियों की जांच की व्यवस्था नहीं होती है, उसके लिए मरीजों को अस्पताल परिसर में ही निजी एजेंसी द्वारा संचालित मेडॉल लैब में शुल्क देकर जांच करानी पड़ती है। हालांकि, डॉक्टर द्वारा लिखी गई पर्ची पर अस्पताल के उपाधीक्षक या मेडिकल ऑफिसर की अनुमति के बाद मेडॉल मुफ्त में जांच करती है।
मानगो निवासी आदित्य कुमार के सीने में दर्द है और भारीपन लगता है। उन्होंने एमजीएम अस्पताल में दिखाया तो डॉक्टर ने खून जांच के लिए लिखा। वे पर्ची और कंप्यूटर से निकली राशन कार्ड की फोटो कॉपी लेकर उपाधीक्षक कार्यालय गए तो वहां पर कहा गया कि कंप्यूटर से निकले प्रिंट पर मार्केटिंग ऑफिसर से हस्ताक्षर कराकर आएं। वे मानगो स्थित कार्यालय पहुंचे तो कहा गया कि इसपर सीओ से हस्ताक्षकर कराएं तब मुहर लगेगा, लेकिन सीओ नहीं मिले। आदित्य की तरह कई लेाग हैं, जो रोज इसी तरह प्रिंट कराए हुए राशन कार्ड पर मुहर नहीं लगने के कारण वापस लौटते हैं। कई बार मार्केटिंग ऑफिस से होकर वापस आते हैं कि उनके पास हस्ताक्षर नहीं हुआ, लेकिन अस्पताल में इसे सुनने को कोई तैयार नहीं होता है। ऐसे में मरीज या तो जांच नहीं होने के कारण बीमारी लेकर घूमते रहते हैं या फिर जेब से पैसे खर्च करते हैं।
हस्ताक्षर आवश्यक नहीं : कार्यपालक दंडाधिकारी
कार्यपालक दण्डाधिकारी सुदीप्त राज ने बताया कि कंप्यूटरीकृत प्रिंट पर किसी तरह के हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं है। ऐसे में मरीजों को परेशानी होती है। अस्पताल प्रशासन को चाहिए कि प्रिंट किए हुए राशन कार्ड का कंप्यूटर से मिलान कर पर्ची पर हस्ताक्षर करें।
मरीजों द्वारा लाए जाने वाले कंप्यूटरीकृत राशन कार्ड पर संबंधित पदाधिकारी का हस्ताक्षर होना चाहिए, तभी उसका लाभ मिलेगा। राशनिंग डिपार्टमेंट कहता है ऐप देखकर काम कर लीजिए। मेडॉल जब रीइंबर्समेंट के लिए स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट पर इसे डालता है, तो उसे लाभ नहीं मिलता।
डॉ. नकुल चौधरी, उपाधीक्षक, एमजीएम अस्पताल
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